सोचो, ज़िंदगी में आगे बढ़ने का रास्ता क्या है? माता-पिता का सम्मान करना और उनकी आज्ञा मानना। बचपन से लेकर जवानी और फिर आगे भी, यही तो सिखाया जाता है ना? इससे हमारी ज़िंदगी में समझदारी आती है। जैसे पवित्र शास्त्र में लिखा है, "अपने माता-पिता का आदर करना, जैसा कि यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें आज्ञा दी है, ताकि तुम्हारे दिन लंबे हों और तुम्हारा भला हो उस भूमि पर जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें देता है" (व्यवस्थाविवरण 5:16)।
प्रभु यीशु का उदाहरण देखो। परमेश्वर के पुत्र होते हुए भी, उन्होंने बचपन में अपने माता-पिता की आज्ञा मानी और ज्ञान में बढ़ते गए। हम तो फिर क्या हैं? उनके जैसा बनने की कोशिश तो करनी ही चाहिए, है ना? माता-पिता की आज्ञा मानने से ही हमें आशीष और ईश्वर का प्यार मिलेगा। उनकी दी हुई सीख ही तो हमें हमेशा सही रास्ते पर ले जाएगी।
“अपने माता और अपने पिता का आदर करो। यह इसलिए करो कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा जिस धरती को तुम्हें दे रहा है, उसमें तुम दीर्घ जीवन बिता सको।
वे पर निन्दक हैं, और परमेश्वर से घृणा करते हैं। वे उद्दण्ड हैं, अहंकारी हैं, बड़बोला हैं, बुराई के जन्मदाता हैं, और माता-पिता की आज्ञा नहीं मानते।
“अपने माता—पिता का सम्मान करो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें यह करने का आदेश दिया है। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो तुम्हारी उम्र लम्बी होगी और उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा होगा।
समझदार पुत्र निज पिता की शिक्षा पर कान देता, किन्तु उच्छृंखल झिड़की पर भी ध्यान नहीं देता।
उदाहरण के लिये मूसा ने कहा, ‘अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, उसे निश्चय ही मार डाला जाये।’
जो अपने पुत्र को कभी नहीं दण्डित करता, वह अपने पुत्र से प्रेम नहीं रखता है। किन्तु जो प्रेम करता निज पुत्र से, वह तो उसे यत्न से अनुशासित करता है।
क्योंकि परमेश्वर ने तो कहा था ‘तू अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई अपने पिता या माता का अपमान करता है, उसे अवश्य मार दिया जाना चाहिये।’
“तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
कोई मनुष्य यदि निज पिता को अथवा निज माता को कोसे, उसका दीया बुझ जायेगा और गहन अंधकार हो जायेगा।
हे बालकों, प्रभु में आस्था रखते हुए माता-पिता की आज्ञा का पालन करो क्योंकि यही उचित है।
हे बालकों, सब बातों में अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करो। क्योंकि प्रभु के अनुयायियों के इस व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है।
“लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो ऐसा कार्य करता है जिससे पता चलता है कि वह अपने माता—पिता का अपमान करता है!’ “तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’
हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा का पालन कर और अपनी माता की सीख को कभी मत त्याग। अपने हृदय पर उनको सदैव बाँध रह और उन्हें अपने गले का हार बना ले।
एक बुद्धिमान पुत्र अपने पिता को आनन्द देता है किन्तु एक मूर्ख पुत्र, माता का दुःख होता है।
मूर्ख अपने पिता की प्रताड़ना का तिरस्कार करता है किन्तु जो कान सुधार पर देता है बुद्धिमानी दिखाता है।
ऐसा पुत्र जो निन्दनीय कर्म करता है घर का अपमान होता है, वह ऐसा होता है जैसे पुत्र कोई निज पिता से छीने और घर से असहाय माँ को निकाल बाहर करे।
अपने पिता की सुन जिसने तुझे जीवन दिया है, अपनी माता का निरादर मत कर जब वह वृद्ध हो जाये।
नेक जन का पिता महा आनन्दित रहता और जिसका पुत्र विवेक पूर्ण होता है वह उसमें ही हर्षित रहता है। इसलिये तेरी माता और तेरे पिता को आनन्द प्राप्त करने दे और जिसने तुझ को जन्म दिया, उसको हर्ष मिलता ही रहे।
जो व्यवस्था के विधानों का पालन करता है, वही है विवेकी पुत्र; किन्तु जो व्यर्थ के पेटुओं को बनाता साथी, वह पिता का निरादर करता है।
जो आँख अपने ही पिता पर हँसती है, और माँ की बात मानने से घृणा करती है, घाठी के कौवे उसे नोंच लेंगे और उसको गिद्ध खा जायेंगे।
बचपन से ही अपने बनाने वाले का स्मरण करो। इससे पहले कि बुढ़ापे के बुरे दिन तुम्हें आ घेरें। पहले इसके कि तुम्हें यह कहना पड़े कि “हाय, में जीवन का रस नहीं ले सका।”
“यदि तुम मेरी कही बातों पर ध्यान देते हो, तो तुम इस धरती की अच्छी वस्तुएँ प्राप्त करोगे।
यरूशलेम के लोग अपने माता—पिता का सम्मान नहीं करते। वे उस नगर में विदेशियों को सताते हैं। वे अनाथों और विधवाओं को उस स्थान पर ठगते हैं।
सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा, “बच्चे अपने पिता का सम्मान करते हैं। सेवक अपने स्वामियों का सम्मान करते हैं। मैं तुम्हारा पिता हूँ, अत: तुम मेरा सम्मान क्यों नहीं करते? मैं तुम्हारा स्वामी हूँ, अत: तुम मेरा सम्मान क्यों नहीं करते याजकों, तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते।” “किन्तु तुम कहते हो, ‘हमने क्या किया है, जो प्रकट करता है कि हम तेरे नाम का सम्मान नहीं करते?’”
एलिय्याह माता—पिता को अपने बच्चों के समीप होने में सहायता करेगा। यह अवश्य घटित होगा, या मैं (परमेश्वर) आऊँगा और तुम्हारे देश को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा!”
‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर’ और ‘जैसे तू अपने आप को प्यार करता है, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्यार कर।’”
“अच्छा बताओ तुम लोग इसके बारे में क्या सोचते हो? एक व्यक्ति के दो पुत्र थे। वह बड़े के पास गया और बोला, ‘पुत्र आज मेरे अंगूरों के बगीचे में जा और काम कर।’ “किन्तु पुत्र ने उत्तर दिया, ‘मेरी इच्छा नहीं है’ पर बाद में उसका मन बदल गया और वह चला गया। यदि कोई तुमसे कुछ कहे तो उससे कहना, ‘प्रभु को इनकी आवश्यकता है। वह जल्दी ही इन्हें लौटा देगा।’” “फिर वह पिता दूसरे बेटे के पास गया और उससे भी वैसे ही कहा। उत्तर में बेटे ने कहा, ‘जी हाँ,’ मगर वह गया नहीं। “बताओ इन दोनों में से जो पिता चाहता था, किसने किया?” उन्होंने कहा, “बड़े ने।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कर वसूलने वाले और वेश्याएँ परमेश्वर के राज्य में तुमसे पहले जायेंगे।
तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’”
फिर वह उनके साथ नासरत लौट आया और उनकी आज्ञा का पालन करता रहा। उसकी माता इन सब बातों को अपने मन में रखती जा रही थी।
तू व्यवस्था के आदेशों को तो जानता है, ‘व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, अपने पिता और माता का आदर कर।’”
यीशु ने जब अपनी माँ और अपने प्रिय शिष्य को पास ही खड़े देखा तो अपनी माँ से कहा, “प्रिय महिला, यह रहा तेरा बेटा।” फिर वह अपने शिष्य से बोला, “यह रही तेरी माँ।” और फिर उसी समय से वह शिष्य उसे अपने घर ले गया।
“अपने माता-पिता का सम्मान कर।” यह पहली आज्ञा है जो इस प्रतिज्ञा से भी युक्त है, इसी के लिए मैं ज़ंजीरों में जकड़े हुए राजदूत के समान सेवा कर रहा हूँ। प्रार्थना करो कि मैं, जिस प्रकार मुझे बोलना चाहिए, उसी प्रकार निर्भयता के साथ सुसमाचार का प्रवचन कर सकूँ। तुम भी, मैं कैसा हूँ और क्या कर रहा हूँ, इसे जान जाओ। सो तुखिकुस तुम्हें सब कुछ बता देगा। वह हमारा प्रिय बंधु है और प्रभु में स्थित एक विश्वासपूर्ण सेवक है इसीलिए मैं उसे तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ताकि तुम मेरे समाचार जान सको और इसलिए भी कि वह तुम्हारे मन को शांति दे सके। हे भाइयों, तुम सब को परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से विश्वास शांति और प्रेम प्राप्त हो। जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से अमर प्रेम रखते हैं, उन पर परमेश्वर का अनुग्रह होता है। “तेरा भला हो और तू धरती पर चिरायु हो।”
किन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पुत्री अथवा नाती-पोते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने धर्म पर चलते हुए अपने परिवार की देखभाल करना सीखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिताओं के पालन-पोषण का बदला चुकायें क्योंकि इससे परमेश्वर प्रसन्न होता है।
किन्तु यदि कोई अपने रिश्तेदारों, विशेषकर अपने परिवार के सदस्यों की सहायता नहीं करता, तो वह विश्वास से फिर गया है तथा किसी अविश्वासी से भी अधिक बुरा है।
यदि किसी विश्वासी महिला के घर में विधवाएँ हैं तो उसे उनकी सहायता स्वयं करनी चाहिए और कलीसिया पर कोई भार नहीं डालना चाहिए ताकि कलीसिया सच्ची विधवाओं की सहायता कर सके।
लोग स्वार्थी, लालची, अभिमानी, उद्दण्ड, परमेश्वर के निन्दक, माता-पिता की अवहेलना करने वाले, निर्दय, अपवित्र
और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए।
इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”
“यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता के अनिष्ट की कामना करता है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। उसने अपने पिता या माँ का अनिष्ट चाहा है, इसलिए उसे दण्ड देना चाहिए।
“किसी व्यक्ति का ऐसा पुत्र हो सकता है जो हठी और आज्ञापालन न करने वाला हो। यह पुत्र अपने माता—पिता की आज्ञा नहीं मानेगा। माता—पिता उसे दण्ड देते हैं किन्तु पुत्र फिर भी उनकी कुछ नहीं सुनता। उसके माता—पिता को उसे नगर की बैठक वाली जगह पर नगर के मुखियों के पास ले जाना चाहिए। तब तुम्हारे मुखिया और न्यायाधिशों को मारे गए व्यक्ति के चारों ओर से नगरों की दूरी को नापना चाहिए। उन्हें नगर के मुखियों से कहना चाहिए: ‘हमारा पुत्र हठी है और आज्ञा नहीं मानता। वह कोई काम नहीं करता जिसे हम करने के लिये कहते हैं। वह आवश्यकता से अधिक खाता और शराब पीता है।’ तब नगर के लोगों को उस पुत्र को पत्थरों से मार डालना चाहिए। ऐसा करके तुम अपने में से इस बुराई को खत्म करोगे। इस्राएल के सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे।
सवेरे तड़के ही दाऊद, ने भेड़ों की रखवाली दूसरे गड़रिये को सौंपी। दाऊद ने भोजन लिया और वहाँ के लिये चल पड़ा जहाँ के लिये यिशै ने कहा था। दाऊद अपनी गाड़ी को डेरे में ले गया। उस समय सैनिक लड़ाई में अपने मोर्चे संभालने जा रहे थे जब दाऊद वहाँ पहुँचा। सैनिक अपना युद्ध उद्घोष करने लगे।
दाऊद ने भोजन और चीजों को उस व्यक्ति के पास छोड़ा जो सामग्री का वितरण करता था। दाऊद दौड़ कर उस स्थान पर पहुँचा जहाँ इस्राएली सैनिक थे। दाऊद ने अपने भाईयों के विषय में पूछा।
अत: बतशेबा राजा सुलैमान के पास उससे बात करने गई। राजा सुलैमान ने उसे देखा और वह उससे मिलने के लिये खड़ा हुआ। तब वह उसके सामने प्रणाम करने झुका और सिंहासन पर बैठ गया। उसने सेवकों से, अपनी माँ के लिये दूसरा सिंहासन लाने को कहा। तब वह उसकी दायीं ओर बैठ गई।
तब यिर्मयाह ने रेकाबी परिवार के लोगों से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘तुम लोगों ने अपने पूर्वज योनादाब के आदेश का पालन किया है। तुमने योनादाब की सारी शिक्षाओं का अनुसरण किया है। तुमने वह सब किया है जिसके लिये उसने आदेश दिया था।’ इसलिये इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘रेकाब के पुत्र योनादाब के वंशजों में से एक ऐसा सदैव होगा जो मेरी सेवा करेगा।’”
देखो, तुम्हारे पास आने को अब मैं तीसरी बार तैयार हूँ। पर मैं तुम पर किसी तरह का बोझ नहीं बनूँगा। मुझे तुम्हारी सम्पत्तियों की नहीं तुम्हारी चाहत है। क्योंकि बच्चों को अपने माता-पिता के लिये कोई बचत करने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि अपने बच्चों के लिये माता-पिता को ही बचत करनी होती है।
अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।
“सो देखो, मेरे इन मासूम अनुयायियों में से किसी को भी तुच्छ मत समझना। मैं तुम्हें बताता हूँ कि उनके रक्षक स्वर्गदूतों की पहुँच स्वर्ग में मेरे परम पिता के पास लगातार रहती है।
उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “यदि कोई मुझमें प्रेम रखता है तो वह मेरे वचन का पालन करेगा। और उससे मेरा परम पिता प्रेम करेगा। और हम उसके पास आयेंगे और उसके साथ निवास करेंगे।
उधर वह बालक बढ़ता एवं हृष्ट-पुष्ट होता गया। वह बहुत बुद्धिमान था और उस पर परमेश्वर का अनुग्रह था।
और फिर हुआ यह कि तीन दिन बाद वह उपदेशकों के बीच बैठा, उन्हें सुनता और उनसे प्रश्न पूछता मन्दिर में उन्हें मिला। वे सभी जिन्होंने उसे सुना था, उसकी सूझबूझ और उसके प्रश्नोत्तरों से आश्चर्यचकित थे।
सो वह उठकर अपने पिता के पास चल दिया। “अभी वह पर्याप्त दूरी पर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और उसके पिता को उस पर बहुत दया आयी। सो दौड़ कर उसने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और चूमा। पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी, मैंने तुम्हारी दृष्टि में और स्वर्ग के विरुद्ध पाप किया है, मैं अब और अधिक तुम्हारा पुत्र कहलाने योग्य नहीं हूँ।’ “किन्तु पिता ने अपने सेवकों से कहा, ‘जल्दी से उत्तम वस्त्र निकाल लाओ और उन्हें इसे पहनाओ। इसके हाथ में अँगूठी और पैरों में चप्पल पहनाओ। कोई मोटा ताजा बछड़ा लाकर मारो और आओ उसे खाकर हम आनन्द मनायें। क्योंकि मेरा यह बेटा जो मर गया था अब जैसे फिर जीवित हो गया है। यह खो गया था, पर अब यह मिल गया है।’ सो वे आनन्द मनाने लगे।
तू अपने पुत्र को अनुशासित कर और उसे दण्ड दे, जब वह अनुचित हो। बस यही आशा है। यदि तू ऐसा करने को मना करे, तब तो तू उसके विनाश में उसका सहायक बनता है।
दण्ड और डाँट से सुबुद्धि मिलती है किन्तु यदि माता—पिता मनचाहा करने को खुला छोड़ दे, तो वह निज माता का लज्जा बनेगा।
पुत्र को दण्डित कर जब वह अनुचित करे, फिर तो तुझे उस पर सदा ही गर्व रहेगा। वह तेरी लज्जा का कारण कभी नहीं होगा।
इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे। हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे। हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे। हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे। हाय, उन लोगों ने मरूभूमि में परमेश्वर को कष्ट दिया! उन्होंने उसको बहुत दु:खी किया था! परमेश्वर के धैर्य को उन लोगों ने फिर परखा, सचमुच इस्राएल के उस पवित्र को उन्होंने कष्ट दिया। वे लोग परमेश्वर की शक्ति को भूल गये। वे लोग भुल गये कि परमेश्वर ने उनको कितनी ही बार शत्रुओं से बचाया। वे लोग मिस्र की अद्भुत बातों को और सोअन के क्षेत्रों के चमत्कारों को भूल गये। उनकी नदियों को परमेश्वर ने खून में बदल दिया था! जिनका जल मिस्र के लोग पी नहीं सकते थे। परमेश्वर ने भिड़ों के झुण्ड भेजे थे जिन्होंने मिस्र के लोगों को डसा। परमेश्वर ने उन मेढकों को भेजा जिन्होंने मिस्त्रियों के जीवन को उजाड़ दिया। परमेश्वर ने उनके फसलों को टिड्डों को दे डाला। उनके दूसरे पौधे टिड्डियो को दे दिये। परमेश्वर ने मिस्त्रियों के अंगूर के बाग ओलों से नष्ट किये, और पाला गिरा कर के उनके वृक्ष नष्ट कर दिये। परमेश्वर ने उनके पशु ओलों से मार दिये और बिजलियाँ गिरा कर पशु धन नष्ट किये। परमेश्वर ने मिस्र के लोगों को अपना प्रचण्ड क्रोध दिखाया। उनके विरोध में उसने अपने विनाश के दूत भेजे। यहोवा ने याकूब से वाचा किया। परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था का विधान दिया, और परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को आदेश दिया। उसने हमारे पूर्वजों को व्यवस्था का विधान अपने संतानों को सिखाने को कहा। परमेश्वर ने क्रोध प्रकट करने के लिये एक राह पायी। उनमें से किसी को जीवित रहने नहीं दिया। हिंसक महामारी से उसने सारे ही पशुओं को मर जाने दिया। परमेश्वर ने मिस्र के हर पहले पुत्र को मार डाला। हाम के घराने के हर पहले पुत्र को उसने मार डाला। फिर उसने इस्राएल की चरवाहे के समान अगुवाई की। परमेश्वर ने अपने लोगों को ऐसे राह दिखाई जैसे जंगल में भेड़ों कि अगुवाई की है। वह अपनेनिज लोगों को सुरक्षा के साथ ले चला। परमेश्वर के भक्तों को किसी से डर नहीं था। परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को लाल सागर में हुबाया। परमेश्वर अपने निज भक्तों को अपनी पवित्र धरती पर ले आया। उसने उन्हें उस पर्वत पर लाया जिसे उसने अपनी ही शक्ति से पाया। परमेश्वर ने दूसरी जातियों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया। परमेश्वर ने प्रत्येक घराने को उनका भाग उस भूमि में दिया। इस तरह इस्राएल के घराने अपने ही घरों में बस गये। इतना होने पर भी इस्राएल के लोगों ने परम परमेश्वर को परखा और उसको बहुत दु:खी किया। वे लोग परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे। इस्राएल के लोग परमेश्वर से भटक कर विमुख हो गये थे। वे उसके विरोध में ऐसे ही थे, जैसे उनके पूर्वज थे। वे इतने बुरे थे जैसे मुड़ा धनुष। इस्राएल के लोगों ने ऊँचे पूजा स्थल बनाये और परमेश्वर को कुपित किया। उन्होंने देवताओं की मूर्तियाँ बनाई और परमेश्वर को ईर्ष्यालु बनाया। परमेश्वर ने यह सुना और बहुत कुपित हुआ। उसने इस्राएल को पूरी तरह नकारा! इस तरह लोग व्यवस्था के विधान को जानेंगे। यहाँ तक कि अन्तिम पीढ़ी तक इसे जानेगी। नयी पीढ़ी जन्म लेगी और पल भर में बढ़ कर बड़े होंगे, और फिर वे इस कहानी को अपनी संतानों को सुनायेंगे। परमेश्वर ने शिलोह के पवित्र तम्बू को त्याग दिया। यह वही तम्बू था जहाँ परमेश्वर लोगों के बीच में रहता था। फिर परमेश्वर ने उसके निज लोगों को दूसरी जातियों को बंदी बनाने दिया। परमेश्वर के “सुन्दर रत्न” को शत्रुओं ने छीन लिया। परमेश्वर ने अपने ही लोगों (इस्राएली) पर निज क्रोध प्रकट किया। उसने उनको युद्ध में मार दिया। उनके युवक जलकर राख हुए, और वे कन्याएँ जो विवाह योग्य थीं, उनके विवाह गीत नहीं गाये गए। याजक मार डाले गए, किन्तु उनकी विधवाएँ उनके लिए नहीं रोई। अंत में, हमारा स्वामी उठ बैठा जैसे कोई नींद से जागकर उठ बैठता हो। या कोई योद्धा दाखमधु के नशे से होश में आया हो। फिर तो परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को मारकर भगा दिया और उन्हें पराजित किया। परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को हरा दिया और सदा के लिये अपमानित किया। किन्तु परमेश्वर ने यूसुफ के घराने को त्याग दिया। परमेश्वर ने इब्राहीम परिवार को नहीं चुना। परमेश्वर ने यहूदा के गोत्र को नहीं चुना और परमेश्वर ने सिय्योन के पहाड़ को चुना जो उसको प्रिय है। उस ऊँचे पर्वत पर परमेश्वर ने अपना पवित्र मन्दिर बनाया। जैसे धरती अडिग है वैसे ही परमेश्वर ने निज पवित्र मन्दिर को सदा बने रहने दिया। अत: वे सभी लोग यहोवा पर भरोसा करेंगे। वे उन शाक्तिपूर्ण कामों को नहीं भूलेंगे जिनको परमेश्वर ने किया था। वे ध्यान से रखवाली करेंगे और परमेश्वर के आदेशों का अनुसरण करेंगे।
इन आदेशों को सदा याद रखो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। इनकी शिक्षा अपने बच्चों को देने के लिए सावधान रहो। इन आदेशों के बारे में तुम अपने घर में बैठे और सड़क पर घूमते बातें करो। जब तुम लेटो और जब जागो तब इनके बारे में बातें करो।
“किन्तु संभव है कि तुम यहोवा की सेवा करना नहीं चाहते। तुम्हें स्वयं ही आज यह चुन लेना चाहिए। तुम्हें आज निश्चय कर लेना चाहिए कि तुम किसकी सेवा करोगे। तुम उन देवताओं की सेवा करोगे जिनकी सेवा तुम्हारे पूर्वज उस समय करते थे जब वे नदी की दूसरी ओर रहते थे? या तुम उन एमोरी लोगों के देवताओं की सेवा करना चाहते हो जो यहाँ रहते थे? किन्तु मैं तुम्हें बताता हूँ कि मैं क्या करूँगा। जहाँ तक मेरी और मेरे परिवार की बात है, हम यहोवा की सेवा करेंगे!”
हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा मत भूल, बल्कि तू मेरे आदेश अपने हृदय में बसा ले। तेरे भण्डार ऊपर तक भर जायेंगे, और तेरे मधुपात्र नये दाखमधु से उफनते रहेंगे। हे मेरे पुत्र, यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान। क्यों क्योंकि यहोवा केवल उन्हीं को डाँटता है जिनसे वह प्यार करता है। वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को डाँटे जो उसको अति प्रिय है। धन्य है वह मनुष्य, जो बुद्धि पाता है। वह मनुष्य धन्य है जो समझ प्राप्त करें। बुद्धि, मूल्यवान चाँदी से अधिक लाभदायक है, और वह सोने से उत्तम प्रतिदान देती है! बुद्धि मणि माणिक से अधिक मूल्यवान है। उसकी तुलना कभी किसी उस वस्तु से नहीं हो सकती है जिसे तू चाह सके! बुद्धि के दाहिने हाथ में सुदीर्घ जीवन है, उसके बायें हाथ में सम्पत्ति और सम्मान है। उसके मार्ग मनोहर हैं और उसके सभी पथ शांति के रहते हैं। बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं! यहोवा ने धरती की नींव बुद्धि से धरी, उसने समझ से आकाश को स्थिर किया। क्योंकि इनसे तेरी आयु वर्षों वर्ष बढ़ेगी और ये तुझको समपन्न कर देगें।
हे मेरे पुत्र, मेरे वचनों को पाल और अपने मन में मेरे आदेश संचित कर। तभी कोई कामिनी उससे मिलने के लिये निकल कर बाहर आई। वह वेश्या के वेश में सजी हुई थी। उसकी इच्छाओं में कपट छुपा था। वह वाचाल और निरंकुश थी। उसके पैर कभी घर में नहीं टिकते थे। वह कभी—कभी गलियों में, कभी चौराहों पर, और हर किसी नुक्कड़ पर घात लगाती थी। उसने उसे रोक लिया और उसे पकड़ा। उसने उसे निर्लज्ज मुख से चूम लिया, फिर उससे बोली, “आज मुझे मौत्री भेंट अर्पित करनी थी। मैंने अपनी मन्नत पूरी कर ली है। मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, दे दिया है। उसका कुछ भाग मैं घर ले जा रही हूँ। अब मेरे पास बहुतेरे खाने के लिये है! इसलिये मैं तुझसे मिलने बाहर आई। मैं तुझे खोजती रही और तुझको पा लिया। मैंने मिस्र के मलमल की रंगों भरी चादर से सेज सजाई है। मैंने अपनी सेज को गंधरस, दालचीनी और अगर गंध से सुगन्धित किया है। तू मेरे पास आ जा। भोर की किरण चूर हुए, प्रेम की दाखमधु पीते रहें। आ, हम परस्पर प्रेम से भोग करें। मेरे पति घर पर नहीं है। वह दूर यात्रा पर गया है। मेरे आदेशों का पालन करता रहा तो तू जीवन पायेगा। तू मेरे उपदेशों को अपनी आँखों की पुतली सरीखा सम्भाल कर रख। वह अपनी थैली धन से भर कर ले गया है और पूर्णमासी तक घर पर नहीं होगा।” उसने उसे लुभावने शब्दों से मोह लिया। उसको मीठी मधुर वाणी से फुसला लिया। वह तुरन्त उसके पीछे ऐसे हो लिया जैसे कोई बैल वध के लिये खिंचा चला जाये। जैसे कोई निरा मूर्ख जाल में पैर धरे। जब तक एक तीर उसका हृदय नहीं बेधेगा तब तक वह उस पक्षी सा जाल पर बिना यह जाने टूट पड़ेगा कि जाल उसके प्राण हर लेगा। सो मेरे पुत्रों, अब मेरी बात सुनो और जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान धरो। अपना मन कुलटा की राहों में मत खिंचने दो अथवा उसे उसके मार्गो पर मत भटकने दो। कितने ही शिकार उसने मार गिरायें हैं। उसने जिनको मारा उनका जमघट बहुत बड़ा है। उस का घर वह राजमार्ग है जो कब्र को जाता है और नीचे मृत्यु की काल—कोठरी में उतरता है! उनको अपनी उंगलियों पर बाँध ले, तू अपने हृदय पटल पर उनको लिख ले।
“तो अब, मेरे पुत्रों, मेरी बात सुनो। वो धन्य है! जो जन मेरी राह पर चलते हैं। मेरे उपदेश सुनो और बुद्धिमान बनो। इनकी उपेक्षा मत करो।
जो अपने घराने पर विपत्ति लायेगा, दान में उसे वायु मिलेगा और मूर्ख, बुद्धिमान का दास बनकर रहेगा।
बच्चे यहोवा का उपहार है, वे माता के शरीर से मिलने वाले फल हैं। जवान के पुत्र ऐसे होते हैं जैसे योद्धा के तरकस के बाण। जो व्यक्ति बाण रुपी पुत्रों से तरकस को भरता है वह अति प्रसन्न होगा। वह मनुष्य कभी हारेगा नहीं। उसके पुत्र उसके शत्रुओं से सर्वजनिक स्थानों पर उसकी रक्षा करेंगे।
बुद्धि से घर का निर्माण हो जाता है, और समझ—बूझ से ही वह स्थिर रहता है। मैं आलसी के खेत से होते हुए गुजरा जो अंगूर के बाग के निकट था जो किसी ऐसे मनुष्य का था, जिसको उचित—अनुचित का बोध नहीं था। कंटीली झाड़ियाँ निकल आयीं थी हर कहीं खरपतवार से खेत ढक गया था। और बाड़ पत्थर की खंडहर हो रही थी। जो कुछ मैंने देखा, उस पर मन लगा कर सोचने लगा। जो कुछ मैंने देखा, उससे मुझको एक सीख मिली। जरा एक झपकी, और थोड़ी सी नींद, थोड़ा सा सुस्ताना, धर कर हाथों पर हाथ। (दरिद्रता को बुलाना है) वह तुझ पर टूट पड़ेगी जैसे कोई लुटेरा टूट पड़ता है, और अभाव तुझ पर टूट पड़ेगा जैसे कोई शस्त्र धारी टूट पड़ता है। ज्ञान के द्वारा उसके कक्ष अद्भुत और सुन्दर खजानों से भर जाते हैं।
ऐसा जन जो विवेक से प्रेम रखता है, पिता को आनन्द पहुँचाता है। किन्तु जो वेश्याओं की संगत करता है, अपना धन खो देता है।
अपने परिवार का वह अच्छा प्रबन्धक हो तथा उसके बच्चे उसके नियन्त्रण में रहते हों। उसका पूरा सम्मान करते रहो।
कलीसिया के सेवक के केवल एक ही पत्नी होनी चाहिए तथा उसे अपने बाल-बच्चों तथा अपने घरानों का अच्छा प्रबन्धक होना चाहिए।
तुम अपने आपको हर बात में आदर्श बनाकर दिखाओ। तेरा उपदेश शुद्ध और गम्भीर होना चाहिए। ऐसी सद्वाणी का प्रयोग करो, जिसकी आलोचना न की जा सके ताकि तेरे विरोधी लज्जित हों क्योंकि उनके पास तेरे विरोध में बुरा कहने को कुछ नहीं होगा।
अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।
उसके आदेशों का पालन करते हुए हम यह दर्शाते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं। उसके आदेश अत्यधिक कठोर नहीं हैं।
मैं तुम्हें कुछ सुझाव दूँगा। मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम्हें क्या करना चाहिए। मेरी प्रार्थना है कि परमेश्वर तुम्हारा साथ देगा। जो तुम्हें करना चाहिए वह यह है। तुम्हें परमेश्वर के सामने लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहना चाहिए, और तुम्हें उनके इन विवादों और समस्याओं को परमेश्वर के सामने रखना चाहिए। इसलिए यित्रो मूसा के पास गया जब वह परमेश्वर के पर्वत के पास डेरा डाले था। वह मूसा की पत्नी सिप्पोरा को अपने साथ लाया। (सिप्पोरा मूसा के साथ नहीं थी क्योंकि मूसा ने उसे उसके घर भेज दिया था।) तुम्हें परमेश्वर के नियमों और उपदेशों की शिक्षा लोगों को देनी चाहिए। लोगों को चेतावनी दो कि वे नियम न तोड़ें। लोगों को जीने की ठीक राह बताओ। उन्हें बताओ कि वे क्या करें। किन्तु तुम्हें लोगों में से अच्छे लोगों को चुनना चाहिए। “तुम्हें अपने विश्वासपात्र आदमियों का चुनाव करना चाहिए अर्थात् उन आदमियों का जो परमेश्वर का सम्मान करते हों। उन आदमियों को चुनो जो धन के लिए अपना निर्णय न बदलें। इन आदमियों को लोगों का प्रशासक बनाओ। हज़ार, सौ, पचास और दस लोगों पर भी प्रशासक होने चाहिए। इन्हीं प्रशासकों को लोगों का न्याय करने दो। यदि कोई बहुत ही गंभीर मामला हो तो वे प्रशासक निर्णय के लिए तुम्हारे पास आ सकते हैं। किन्तु अन्य मामलों का निर्णय वे स्वयं ही कर सकते हैं। इस प्रकार यह तुम्हारे लिए अधिक सरल होगा। इसके अतिरिक्त, ये तुम्हारे काम में हाथ बटा सकेंगे। यदि तुम यहोवा की इच्छानुसार ऐसा करते हो तब तुम अपना कार्य करते रहने योग्य हो सकोगे। और इसके साथ ही साथ सभी लोग अपनी समस्याओं के हल हो जाने से शान्तिपूर्वक घर जा सकेंगे।” इसलिए मूसा ने वैसा ही किया जैसा यित्रो ने कहा था।
मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। जब वह पाप करेगा, मैं उसे दण्ड देने के लिये अन्य लोगों का उपयोग करूँगा। उसे दंडित करने के लिये वे मेरे सचेतक होंगे।
हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे बोध वचनों को ग्रहण करे और मेरे आदेश मन में संचित करे, बुद्धि तेरे मन में प्रवेश करेगी और ज्ञान तेरी आत्मा को भाने लगेगा। तुझको अच्छे—बुरे का बोध बचायेगा, समझ बूझ भरी बुद्धि तेरी रखवाली करेगी, बुद्धि तुझे कुटिलों की राह से बचाएगी जो बुरी बात बोलते हैं। अंधेरी गलियों में आगे बढ़ जाने को वे सरल—सीधी राहों को तजते रहते हैं। वे बुरे काम करने में सदा आनन्द मनाते हैं, वे पापपूर्ण कर्मों में सदा मग्न रहते हैं। उन लोगों पर विश्वास नहीं कर सकते। वे झूठे हैं और छल करने वाले हैं। किन्तु तेरी बुद्धि और समझ तुझे इन बातों से बचायेगी। यह बुद्धि तुझको वेश्या और उसकी फुसलाती हुई मधुर वाणी से बतायेगी। जिसने अपने यौवन का साथी त्याग दिया जिससे वाचा कि उपेक्षा परमेश्वर के समक्ष किया था। क्योंकि उसका निवास मृत्यु के गर्त में गिराता है और उसकी राहें नरक में ले जाती हैं। जो भी निकट जाता है कभी नहीं लौट पाता और उसे जीवन की राहें कभी नहीं मिलती! और तू बुद्धि की बातों पर कान लगाये, मन अपना समझदारी में लगाते हुए
तू अपने पुत्र को अनुशासित कर और उसे दण्ड दे, जब वह अनुचित हो। बस यही आशा है। यदि तू ऐसा करने को मना करे, तब तो तू उसके विनाश में उसका सहायक बनता है। यदि किसी मनुष्य को तुरंत क्रोध आयेगा, उसको इसका मूल्य चुकाना होगा। यदि तू उसकी रक्षा करता है, तो कितना ही बार तुझे उसको बचाना होगा।
तुम्हें परमेश्वर के नियमों और उपदेशों की शिक्षा लोगों को देनी चाहिए। लोगों को चेतावनी दो कि वे नियम न तोड़ें। लोगों को जीने की ठीक राह बताओ। उन्हें बताओ कि वे क्या करें।
और उन्हीं शस्त्रों से हम लोगों के तर्को का और उस प्रत्येक अवरोध का, जो परमेश्वर के ज्ञान के विरुद्ध खड़ा है, खण्डन करते हैं।
हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है।
और वह जिसने मुझे भेजा है, मेरे साथ है। उसने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदा वही करता हूँ जो उसे भाता है।”
सो इसलिए अपने विश्वास में उत्तम गुणों को, उत्तम गुणों में ज्ञान को, ज्ञान में आत्मसंयम को, आत्मसंयम में धैर्य को, धैर्य में परमेश्वर की भक्ति को,
यह संसार अपनी लालसाओं और इच्छाओं समेत विलीन होता जा रहा है किन्तु वह जो परमेश्वर की इच्छा का पालन करता है, अमर हो जाता है।
हे मेरे पुत्र, यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान। क्यों क्योंकि यहोवा केवल उन्हीं को डाँटता है जिनसे वह प्यार करता है। वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को डाँटे जो उसको अति प्रिय है।
हे भाइयों, हमारा तुमसे निवेदन है कि जो लोग तुम्हारे बीच परिश्रम कर रहे हैं और प्रभु में जो तुम्हें राह दिखाते हैं, उनका आदर करते रहो। हमारा तुमसे निवेदन है कि उनके काम के कारण प्रेम के साथ उन्हें पूरा आदर देते रहो। परस्पर शांति से रहो।