भूमिका
भविष्यद्वक्ता मीका, जो यशायाह का समकालीन था, दक्षिणी राज्य यहूदा के एक छोटे से नगर का निवासी था। उसे इस बात का पूरा निश्चय था कि जिस प्रकार के विध्वंस की आमोस ने उत्तरी राज्य के लिए भविष्यद्वाणी की थी, उसी प्रकार का राष्ट्रीय विध्वंस यहूदा पर भी आनेवाला था, और इसका कारण भी समान था–परमेश्वर लोगों के घृणित अन्याय का दण्ड अवश्य देगा। फिर भी, मीका के संदेश में भावी आशा के अधिक स्पष्ट और विशिष्ट चिह्न पाए जाते हैं।
कुछ परिच्छेद जो विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं, वे हैं, परमेश्वर के अधीन विश्व शान्ति का चित्र (4:1–4); एक महान् राजा की भविष्यद्वाणी जो दाऊद के वंश से आनेवाला था और जाति में शान्ति लानेवाला था (5:2–5 क); और एक ही पद में (6:8), इस्राएल के भविष्यद्वक्ता जो कहना चाहते थे उसका सार है : “यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले।”
रूप–रेखा :
इस्राएल और यहूदा का न्याय 1:1—3:12
पुनर्स्थापन और शान्ति 4:1—5:15
चेतावनी और आशा का संदेश 6:1—7:20