न्यायियों 3 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)कनान देश में रह गई जातियाँ 1 इस्राएलियों में से जितने कनान में की लड़ाइयों में भागी न हुए थे, उन्हें परखने के लिये यहोवा ने इन जातियों को देश में इसलिये रहने दिया 2 कि पीढ़ी पीढ़ी के इस्राएलियों में से जो लड़ाई को पहले न जानते थे वे सीखें, और जान लें; 3 अर्थात् पाँचों सरदारों समेत पलिश्तियों, और सब कनानियों, और सीदोनियों, और बालहेर्मोन नामक पहाड़ से लेकर हमात की तराई तक लबानोन पर्वत में रहनेवाले हिब्बियों को। 4 ये इसलिये रहने पाए कि इनके द्वारा इस्राएलियों की इस बात में परीक्षा हो, कि जो आज्ञाएँ यहोवा ने मूसा के द्वारा उनके पूर्वजों को दी थीं उन्हें वे मानेंगे या नहीं। 5 इसलिये इस्राएली कनानियों, हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, हिब्बियों, और यबूसियों के बीच में बस गए; 6 तब वे उनकी बेटियाँ विवाह में लेने लगे, और अपनी बेटियाँ उनके बेटों को विवाह में देने लगे; और उनके देवताओं की भी उपासना करने लगे। ओत्नीएल का चरित्र 7 इस प्रकार इस्राएलियों ने यहोवा की दृष्टि में बुरा किया, और अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर बाल नामक देवताओं और अशेरा नामक देवियों की उपासना करने लग गए। 8 तब यहोवा का क्रोध इस्राएलियों पर भड़का, और उसने उनको अरम्नहरैम के राजा कूशन–रिश्आतइम के अधीन कर दिया; इसलिये इस्राएली आठ वर्ष तक कूशन–रिश्आतइम के अधीन रहे। 9 तब इस्राएलियों ने यहोवा की दोहाई दी, और उसने इस्राएलियों के छुटकारे के लिये कालेब के छोटे भाई कनजी के ओत्नीएल नामक पुत्र को ठहराया, और उसने उनको छुड़ाया। 10 उसमें यहोवा का आत्मा समाया, और वह इस्राएलियों का न्यायी बन गया, और लड़ने को निकला, और यहोवा ने अराम के राजा कूशन–रिश्आतइम को उसके हाथ में कर दिया; और वह कूशन–रिश्आतइम पर जयवन्त हुआ। 11 तब चालीस वर्ष तक देश में शान्ति बनी रही। तब कनजी का पुत्र ओत्नीएल मर गया। एहूद का चरित्र 12 तब इस्राएलियों ने फिर यहोवा की दृष्टि में बुरा किया; और यहोवा ने मोआब के राजा एग्लोन को इस्राएल पर प्रबल किया, क्योंकि उन्होंने यहोवा की दृष्टि में बुरा किया था। 13 इसलिये उसने अम्मोनियों और अमालेकियों को अपने पास इकट्ठा किया, और जाकर इस्राएल को मार लिया; और खजूरवाले नगर को अपने वश में कर लिया। 14 तब इस्राएली अठारह वर्ष तक मोआब के राजा एग्लोन के अधीन रहे। 15 फिर इस्राएलियों ने यहोवा की दोहाई दी, और उसने गेरा के पुत्र एहूद नामक एक बिन्यामीनी को उनका छुड़ानेवाला ठहराया; वह बैंहत्था था। इस्राएलियों ने उसी के हाथ से मोआब के राजा एग्लोन के पास कुछ भेंट भेजी। 16 एहूद ने हाथ भर लम्बी एक दोधारी तलवार बनवाई थी, और उसको अपने वस्त्र के नीचे दाहिनी जाँघ पर लटका लिया। 17 तब वह उस भेंट को मोआब के राजा एग्लोन के पास जो बड़ा मोटा पुरुष था ले गया। 18 जब वह भेंट को दे चुका, तब भेंट के लानेवाले को विदा किया। 19 परन्तु वह आप गिलगाल के निकट की खुदी हुई मूरतों के पास लौट गया, और एग्लोन के पास कहला भेजा, “हे राजा, मुझे तुझ से एक भेद की बात कहनी है।” तब राजा ने कहा, “थोड़ी देर के लिये बाहर जाओ।” तब जितने लोग उसके पास उपस्थित थे वे सब बाहर चले गए। 20 तब एहूद उसके पास गया; वह तो अपनी एक हवादार अटारी में अकेला बैठा था। एहूद ने कहा, “परमेश्वर की ओर से मुझे तुझ से एक बात कहनी है।” तब वह गद्दी पर से उठ खड़ा हुआ। 21 इतने में एहूद ने अपना बायाँ हाथ बढ़ाकर अपनी दाहिनी जाँघ पर से तलवार खींचकर उसकी तोंद में घुसेड़ दी; 22 और फल के पीछे मूठ भी पैठ गई, और फल चर्बी में धँसा रहा, क्योंकि उसने तलवार को उसकी तोंद में से न निकाला; वरन् वह उसके आरपार निकल गई। 23 तब एहूद छज्जे से निकलकर बाहर गया, और अटारी के किवाड़ खींचकर उसको बन्द करके ताला लगा दिया। 24 उसके निकल कर जाते ही राजा के दास आए, तो क्या देखते हैं कि अटारी के किवाड़ों में ताला लगा है; इस कारण वे बोले, “निश्चय वह हवादार कोठरी में लघुशंका करता होगा।” 25 वे बाट जोहते जोहते थक गए; तब यह देखकर कि वह अटारी के किवाड़ नहीं खोलता, उन्होंने कुंजी लेकर किवाड़ खोले तो क्या देखा, कि उनका स्वामी भूमि पर मरा पड़ा है। 26 जब तक वे सोच विचार कर ही रहे थे तब तक एहूद भाग निकला, और खुदी हुई मूरतों की परली ओर होकर सेइरे में जाकर शरण ली। 27 वहाँ पहुँचकर उसने एप्रैम के पहाड़ी देश में नरसिंगा फूँका; तब इस्राएली उसके संग होकर पहाड़ी देश से उसके पीछे पीछे नीचे गए। 28 और उसने उनसे कहा, “मेरे पीछे पीछे चले आओ; क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे मोआबी शत्रुओं को तुम्हारे हाथ में कर दिया है।” तब उन्होंने उसके पीछे पीछे जा के यरदन के घाटों को जो मोआब देश की ओर हैं ले लिया, और किसी को उतरने न दिया। 29 उस समय उन्होंने कोई दस हज़ार मोआबियों को मार डाला; वे सब के सब हृष्ट पुष्ट और शूरवीर थे, परन्तु उनमें से एक भी न बचा। 30 इस प्रकार उस समय मोआब इस्राएल के हाथ के तले दब गया। तब अस्सी वर्ष तक देश में शान्ति बनी रही। शमगर का चरित्र 31 उसके बाद अनात का पुत्र शमगर हुआ, उसने छ: सौ पलिश्ती पुरुषों को बैल के पैने से मार डाला; इस कारण वह भी इस्राएल का छुड़ानेवाला हुआ। |
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
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