कुलुस्सियों INTRO1 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)भूमिका कुलुस्सियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री एशिया माइनर के कुलुस्से नामक नगर की कलीसिया को लिखी गई थी, जो इफिसुस नगर के पूर्व में स्थित था। इस कलीसिया की स्थापना पौलुस ने नहीं की थी, परन्तु यह उस क्षेत्र में स्थित थी जिसका उत्तरदायित्व पौलुस अपने कंधों पर अनुभव करता था, जैसा कि हम पौलुस को रोमी साम्राज्य के एक प्रान्त, अखाया की राजधानी इफिसुस से मसीही सेवकों को भेजते हुए पाते हैं। पौलुस को यह पता चला था कि कुलुस्से की कलीसिया में कुछ गलत शिक्षक थे जो इस बात पर जोर देते थे कि परमेश्वर को जानने और पूर्ण उद्धार प्राप्त करने के लिये एक व्यक्ति को कुछ विशेष “आत्मिक प्रधानों और अधिकारियों” की उपासना करना अनिवार्य था। इसके साथ ही साथ, ये शिक्षक कहते थे कि व्यक्ति को कुछ विशेष धर्म–विधियों, जैसे खतना, को मानना और भोजन तथा अन्य बातों से सम्बन्धित कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य है। पौलुस इन शिक्षाओं का विरोध करने के लिये, सच्चे मसीही संदेश के साथ यह पत्री लिखता है। उसके उत्तर का मर्म यह है कि यीशु मसीह पूर्ण उद्धार देने में समर्थ है, और यह कि ये अन्य विश्वास और विधियाँ वास्तव में व्यक्ति को उससे दूर कर देती हैं। मसीह के द्वारा ही परमेश्वर ने इस सृष्टि की रचना की, और अब उसी के द्वारा ही वह इसे अपने पास वापस ला रहा है। केवल मसीह में ही संसार के उद्धार की आशा है। पौलुस तब विश्वासियों के जीवन के लिये इस महान् शिक्षा का अर्थ बताता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि तुखिकुस, जो पौलुस की यह पत्री कुलुस्से ले गया था, के साथ उनेसिमुस भी था–वह गुलाम जिसके पक्ष में पौलुस ने फिलेमोन की पत्री लिखी थी। रूप–रेखा : भूमिका 1:1–8 मसीह का स्वभाव और कार्य 1:9—2:19 मसीह में नया जीवन 2:20—4:6 उपसंहार 4:7–18 |
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
Bible Society of India