भूमिका
एज्रा की पुस्तक में इतिहास की पुस्तकों से आगे का वर्णन मिलता है। इसमें बेबीलोन की बँधुआई से कुछ यहूदियों की वापसी का और यरूशलेम में जन–जीवन की पुनर्स्थापना तथा परमेश्वर की उपासना पुन: आरम्भ किए जाने का वर्णन मिलता है। इसमें वर्णित घटना–क्रम इस प्रकार है : (1) फारस के राजा, कुस्रू, के आदेश पर यहूदियों के प्रथम दल की बेबीलोन की बँधुआई से वापसी। (2) यरूशलेम में मन्दिर का पुन: निर्माण और समर्पण, तथा परमेश्वर की आराधना का पुन: आरम्भ किया जाना। (3) कई वर्षों बाद एज्रा के नेतृत्व में यहूदियों के एक और दल का यरूशलेम वापस लौटना। एज्रा जो कि परमेश्वर की व्यवस्था का अच्छा ज्ञाता था, उसने लोगों के धार्मिक और सामाजिक जीवन को पुन: संगठित करने में उनकी सहायता की ताकि इस्राएल की आध्यात्मिक सम्पदा को बचाकर रखा जा सके।
रूप–रेखा :
बँधुआई से प्रथम दल की वापसी 1:1—2:70
मन्दिर का पुनर्निर्माण और समर्पण 3:1—6:22
एज्रा की अन्य बन्दियों के साथ पुन: वापसी 7:1—10:44