पुस्तक परिचय
प्रस्तुत पुस्तिका में प्रमुख नायिका रानी एस्तर है, जिसके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएँ घटीं जिनसे उसके अद्भुत साहस तथा अपनी यहूदी कौम के प्रति उसकी निष्ठा प्रकट होती है। वह अपने जातीय भाई-बहिनों को उनके शत्रुओं के हाथ से किस प्रकार बचाती है, इन्हीं सब बातों का उल्लेख प्रस्तुत लघु ग्रन्थ में हुआ है। सम्राट क्षयर्ष के शीत महल में भोज के समय ये घटनाएं घटती हैं। वास्तव में, ग्रन्थकार यहूदियों के वसन्तोत्सव “पूरीम” की स्थापना का कारण तथा अर्थ बताना चाहता है। उस पर्व के अवसर पर “एस्तर के कुण्डलपत्र” से यह कथा सुनायी जाती थी। ध्यान देने योग्य बात है कि इस कथा का यूनानी पाठ अधिक विस्तृत है और उसका धार्मिक पक्ष अधिक स्पष्ट किया गया है− जबकि इब्रानी पाठ में परमेश्वर के नाम का कहीं भी उल्लेख नहीं हुआ है!
और एक बात: एस्तर ग्रंथ में (पश्चिमोत्तर) भारतवर्ष को फारसी साम्राज्य के “एक सौ सत्ताईस प्रदेशों” में से एक गिना गया है।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
एस्तर का रानी बनना 1:1−2:23
हामान का षड्यन्त्र 3:1−5:14
पसा पलट गया 6:1−7:10
यहूदियों का प्रतिरोध और प्रतिशोध 8:1−10:3