पुस्तक परिचय
इतिहास ग्रन्थ का पहला भाग राजा दाऊद की मृत्यु के विवरण के साथ समाप्त होता है। इतिहास ग्रन्थ का दूसरा भाग सुलेमान के शासन से आरम्भ होता है, और दरबारी इतिवृत्त के रूप में वह यहूदा राज्य के अंतिम राजा सिदकियाह के शासन तक जारी रहता है। जब राजा सुलेमान का पुत्र रहबआम राज-गद्दी पर बैठ गया, तब इस्राएल देश के उत्तर में रहने वाले समस्त कुलों ने यारोबआम के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया, जिसके कारण उत्तरी राज्य “इस्राएल” की स्थापना हुई। इसका विवरण प्रस्तुत ग्रन्थ भाग के दसवें अध्याय में हुआ है। शेष विषय-सामग्री में केवल यहूदा प्रदेश अर्थात् दक्षिणी राज्य के दाऊद वंशी राजाओं का वृतान्त लिखा गया है। पुस्तक के अन्त में सन् 586 ईसवी पूर्व में हुए यरूशलेम के पतन का संिक्षप्त वर्णन है, लेकिन देश-निष्कासन से वापसी की अप्रत्याशित घोषणा के साथ ही पुस्तक समाप्त होती है। इस प्रकार पुरोहिती “इतिहासकार” ने, जो “राजाओं का वृत्तान्त: पहला और दूसरा भाग” की विषय-सामग्री को नए दृष्टिकोण से लिख रहे थे, मानव-इतिहास में परमेश्वर के चमत्कारिक हस्तक्षेप के लिए एक अन्तिम प्रमाण प्रस्तुत किया।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
राजा सुलेमान का राज्य 1:1−9:31
(क) आरंभिक वर्ष 1:1-17
(ख) मंदिर का निर्माण 2:1−7:10
(ग) अन्तिम वर्ष 7:11−9:31
उत्तरी कुलों का विद्रोह 10:1-19
यहूदा प्रदेश के शेष राजा 11:1−36:12
यरूशलेम का पतन 36:13-23