यहूदा INTRO1 - नवीन हिंदी बाइबलयहूदा की पत्री यहूदा की पत्री के पहले ही पद में लेखक अपना परिचय “यीशु मसीह के दास और याकूब के भाई” के रूप में कराता है। परंपरा के अनुसार पत्री का लेखक यहूदा, यीशु मसीह का भाई था (देखें मत्ती 13:55; मरकुस 6:3)। वह और उसका भाई याकूब (जो यरूशलेम के मसीहियों का अगुवा था) आरंभ में तो यीशु मसीह को प्रभु नहीं मानते थे, परंतु उसके पुनरुत्थान के बाद उन्होंने यीशु पर विश्वास किया और उसके अनुयायी हो गए थे। यहूदा की पत्री में उन झूठे शिक्षकों को चेतावनी दी गई है जो कलीसिया में “चुपके से घुस आए हैं” और “परमेश्वर के अनुग्रह” को दूषित कर रहे हैं तथा “हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु, यीशु मसीह का इनकार करते हैं” (पद 4)। यहूदा इन अधर्मी लोगों की भर्त्सना करते हुए पुराने नियम के कई उदाहरणों को प्रस्तुत करता है। फिर वह मसीही विश्वासियों से आग्रह करता है कि वे सर्वप्रथम भक्ति और प्रेम में बने रहें, और जो इन झूठी शिक्षाओं द्वारा भरमाए गए हैं उनके साथ दया का व्यवहार करें और बहुतों को “आग में से झपटकर निकाल” लाएँ (पद 23)। पत्री की समाप्ति बहुत ही सुंदर आशिष वचन के साथ होती है। रूपरेखा 1. अभिवादन 1–2 2. उद्देश्य 3–4 3. झूठे शिक्षकों का विवरण 5–16 4. विश्वास में बने रहने का आह्वान 17–23 5. आशिष वचन 24–25 |