भजन संहिता 89 - नवीन हिंदी बाइबलदाऊद के साथ परमेश्वर की वाचा एतान एज्रावंशी का मश्कील। 1 मैं यहोवा की करुणा के गीत सदा गाता रहूँगा; मैं अपने मुख से तेरी सच्चाई का वर्णन पीढ़ी से पीढ़ी तक करता रहूँगा। 2 क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा स्थिर रहेगी; स्वर्ग में तू अपनी सच्चाई को स्थापित करेगा।” 3 तूने कहा है, “मैंने अपने चुने हुए के साथ वाचा बाँधी है; मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है, 4 कि मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा और तेरे सिंहासन को पीढ़ी से पीढ़ी तक बनाए रखूँगा।” सेला। 5 हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत कार्य की, और पवित्र लोगों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी। 6 क्योंकि आकाश में यहोवा के तुल्य कौन है? स्वर्गीय प्राणियों में से कौन है जो यहोवा के समान है? 7 परमेश्वर पवित्र लोगों की सभा में अत्यंत भययोग्य है; और जो उसके चारों ओर हैं उनमें वही सब से अधिक आदर के योग्य है। 8 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे याह, तेरे समान सामर्थी कौन है? तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है। 9 समुद्र की प्रचंड लहरों पर तेरा ही अधिकार है; जब उसकी तरंगें उठती हैं तो तू उन्हें शांत करता है। 10 तूने रहब को घात किए हुए मनुष्य के समान कुचल डाला है; तूने अपने शत्रुओं को अपने भुजबल से तितर-बितर कर दिया है। 11 आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है। जगत और जो कुछ उसमें है, उन्हें तूने ही स्थिर किया है। 12 तूने ही उत्तर और दक्षिण बनाए हैं; ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जय जयकार करते हैं। 13 तेरी भुजा बलवंत है; तेरा हाथ शक्तिशाली और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है। 14 तेरे सिंहासन का मूल, धार्मिकता और न्याय है; करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती हैं। 15 क्या ही धन्य है वह प्रजा जो आनंद की आवाज़ को पहचानती है! हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं। 16 वे दिन भर तेरे नाम में मगन रहते हैं; और तेरी धार्मिकता के कारण ऊँचे उठाए जाते हैं। 17 क्योंकि तू ही उनके सामर्थ्य का तेज है, और तेरी कृपा से हमारे सींग ऊँचे किए जाते हैं। 18 क्योंकि यहोवा हमारी ढाल है, और इस्राएल का पवित्र हमारा राजा है। 19 एक बार तूने अपने भक्तों से दर्शन में बात की, और कहा, “मैंने एक वीर को सहायता प्रदान की है; मैंने प्रजा में से एक युवक को चुनकर ऊँचा उठाया है। 20 मैंने अपने दास दाऊद को पा लिया है; मैंने अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है। 21 मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा; मेरी भुजा भी उसे दृढ़ रखेगी। 22 शत्रु उसे छल नहीं पाएगा, और न कुटिल जन उसे कष्ट दे पाएगा। 23 मैं उसके सामने उसके शत्रुओं को कुचल डालूँगा, और उसके बैरियों को नष्ट कर दूँगा। 24 परंतु उस पर मेरी सच्चाई और करुणा बनी रहेंगी, और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा किया जाएगा। 25 मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे और नदियों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा। 26 वह मुझे पुकारकर कहेगा, ‘तू मेरा पिता, मेरा परमेश्वर और मेरे उद्धार की चट्टान है।’ 27 फिर मैं उसे अपना पहलौठा ठहराऊँगा, जो पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान होगा। 28 मैं उस पर अपनी करुणा सदा बनाए रहूँगा, और उसके साथ मेरी वाचा अटल रहेगी। 29 मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा और उसका सिंहासन स्वर्ग के समान सर्वदा बना रहेगा। 30 यदि उसके वंशज मेरी व्यवस्था को त्याग दें, और मेरे नियमों के अनुसार न चलें, 31 यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, और मेरी आज्ञाओं का पालन न करें, 32 तो मैं उनके अपराध का दंड छड़ी से, और उनके अधर्म का दंड कोड़ों से दूँगा। 33 परंतु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा, और न अपनी सच्चाई त्यागकर झूठा ठहरूँगा। 34 मैं अपनी वाचा को नहीं तोड़ूँगा, और न अपने मुँह से निकले शब्दों को बदलूँगा। 35 एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ; मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा। 36 उसका वंश सदा बना रहेगा, और उसका सिंहासन सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरा रहेगा। 37 वह चंद्रमा के समान, और आकाशमंडल के विश्वसनीय साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” सेला। 38 फिर भी तूने अपने अभिषिक्त को त्याग दिया और उसे तुच्छ जाना है; तू उस पर अत्यंत क्रोधित हुआ है। 39 तूने अपने दास के साथ बाँधी वाचा को त्याग दिया, और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है। 40 तूने उसके नगर की सब दीवारों को तोड़ डाला है, और उसके गढ़ों को खंडहर बना दिया है। 41 वहाँ से होकर जानेवाले सब लोग उसे लूट लेते हैं, और वह अपने पड़ोसियों में निंदा का पात्र बन गया है। 42 तूने उसके विरोधियों के दाहिने हाथ को प्रबल किया, और उसके सब शत्रुओं को आनंदित किया है। 43 तू उसकी तलवार की धार को भी मोड़ देता है, और युद्ध में उसके पैर जमने नहीं देता। 44 तूने उसके वैभव को मिटा डाला है, और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है। 45 तूने उसकी जवानी के दिनों को घटा दिया है, और उसे लज्जा से ढाँप दिया है। सेला। 46 हे यहोवा, कब तक? क्या तू सदा के लिए मुँह मोड़े रहेगा? क्या तेरा क्रोध आग के समान भड़कता रहेगा? 47 स्मरण कर कि मैं कैसा क्षणिक हूँ; तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सृजा है? 48 ऐसा कौन मनुष्य है जो सदा जीवित रहे, और मृत्यु को न देखे? क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? सेला। 49 हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही, जिसके विषय में तूने सच्चाई के साथ दाऊद से शपथ खाई थी? 50 हे प्रभु, स्मरण कर कि कैसे तेरे सेवकों की निंदा हुई थी; मैं सब जातियों द्वारा किए गए अपमान को अपने हृदय में सहता हूँ। 51 हाँ, तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा, हर कदम पर तेरे अभिषिक्त की निंदा की है। 52 यहोवा सदा-सर्वदा धन्य है! आमीन फिर आमीन। |