यूहन्ना की दूसरी पत्री
यूहन्ना की दूसरी पत्री का लेखक भी यीशु मसीह का प्रिय शिष्य यूहन्ना ही है। लेखक इस पत्री में स्वयं को एक “प्रवर” के रूप में प्रस्तुत करता है और इसे “चुनी हुई महिला और उसके बच्चों” को संबोधित करता है।
पहली दो सदियों के दौरान सुसमाचार प्रचारक और शिक्षक अलग-अलग स्थानों पर जाकर सुसमाचार का प्रचार किया करते थे। अपनी रीति के अनुसार विश्वासी इन प्रचारकों को अपने घर बुलाते थे और विदा होते समय आगे की यात्रा के लिए उन्हें जरूरत की चीजें प्रदान किया करते थे। झूठी शिक्षा फैलानेवाले भी ऐसा ही करते थे, इसलिए यूहन्ना की दूसरी पत्री का उद्देश्य यह था कि विश्वासी सच्चे शिक्षकों को पहचानें और केवल उन्हीं की सहायता करें, अन्यथा विश्वासी अनजाने में सत्य की अपेक्षा झूठी शिक्षा को फैलाने में सहायता करनेवाले ठहरेंगे। इस पत्री का संक्षिप्त संदेश एक दूसरे से प्रेम रखना, और झूठे शिक्षकों तथा उनकी शिक्षाओं के विरुद्ध चेतावनी देना है।
रूपरेखा
1. अभिवादन 1–3
2. प्रेम में चलना 4–6
3. झूठे शिक्षकों के विरुद्ध चेतावनी 7–11
4. अंतिम अभिवादन 12–13