याहवेह में भरोसा रखते हुए वही करो, जो उपयुक्त है; कि तुम सुरक्षित होकर स्वदेश में खुशहाल निवास कर सको.
लूका 9:3 - सरल हिन्दी बाइबल प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिए, “यात्रा के लिए अपने साथ कुछ न रखना—न छड़ी, न झोला, न रोटी, न पैसा और न ही कोई बाहरी वस्त्र. पवित्र बाइबल उसने उनसे कहा, “अपनी यात्रा के लिये वे कुछ साथ न लें: न लाठी, न झोला, न रोटी, न चाँदी और न कोई अतिरिक्त वस्त्र। Hindi Holy Bible और उस ने उससे कहा, मार्ग के लिये कुछ न लेना: न तो लाठी, न झोली, न रोटी, न रूपये और न दो दो कुरते। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन्होंने उन से कहा, “रास्ते के लिए कुछ भी न लो−न लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपया। अपने पास दो-दो कुरते भी न रखो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने उनसे कहा, “मार्ग के लिये कुछ न लेना, न तो लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपये और न दो–दो कुरते। नवीन हिंदी बाइबल उसने उनसे कहा,“यात्रा के लिए कुछ न लेना, न तो लाठी, न थैला, न रोटी, न रुपए और न ही दो-दो कुरते रखना। इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उसने उनसे कहा, “मार्ग के लिये कुछ न लेना: न तो लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपये और न दो-दो कुर्ते। |
याहवेह में भरोसा रखते हुए वही करो, जो उपयुक्त है; कि तुम सुरक्षित होकर स्वदेश में खुशहाल निवास कर सको.
उन्होंने उन बारहों को बुलाया और उन्हें दुष्टात्माओं पर अधिकार देते हुए उन्हें दो-दो करके भेज दिया.
इसके बाद अपने शिष्यों से उन्मुख हो प्रभु येशु ने कहा, “यही कारण है कि मैंने तुमसे कहा है, अपने जीवन के विषय में यह चिंता न करो कि हम क्या खाएंगे या अपने शरीर के विषय में कि हम क्या पहनेंगे.
यदि परमेश्वर घास का श्रृंगार इस सीमा तक करते हैं, जिसका जीवन थोड़े समय का है और जो कल आग में झोंक दिया जाएगा, क्या वह तुम्हें और कितना अधिक सुशोभित न करेंगे? कैसा कमजोर है तुम्हारा विश्वास!
प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “यह बताओ, जब मैंने तुम्हें बिना बटुए, बिना झोले और बिना जूती के बाहर भेजा था, क्या तुम्हें कोई अभाव हुआ था?” “बिलकुल नहीं,” उन्होंने उत्तर दिया.
योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “जिस व्यक्ति के पास दो कुर्ते हैं, वह एक उसे दे दे, जिसके पास एक भी नहीं है. जिसके पास भोजन है, वह भी यही करे.”
प्रभु येशु के सम्मान में लेवी ने अपने घर पर एक बड़े भोज का आयोजन किया. बड़ी संख्या में चुंगी लेनेवालों के अतिरिक्त वहां अनेक अन्य व्यक्ति भी इकट्ठा थे.
कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके.