आशा की वस्तु उपलब्ध न होने पर हृदय खिन्न हो जाता है, किंतु अभिलाषा की पूर्ति जीवन वृक्ष प्रमाणित होती है.
रोमियों 4:18 - सरल हिन्दी बाइबल बिलकुल निराशा की स्थिति में भी अब्राहाम ने उनसे की गई इस प्रतिज्ञा के ठीक अनुरूप उस आशा में विश्वास किया: वह अनेकों राष्ट्रों के पिता होंगे, ऐसे ही होंगे तुम्हारे वंशज. पवित्र बाइबल सभी मानवीय आशाओं के विरुद्ध अपने मन में आशा सँजोये हुए इब्राहीम ने उसमें विश्वास किया, इसलिए वह कहे गये के अनुसार अनेक राष्ट्रों का पिता बना। “तेरे अनगिनत वंशज होंगे।” Hindi Holy Bible उस ने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अब्राहम ने निराशाजनक परिस्थिति में भी आशा रख कर विश्वास किया और वह बहुत जातियों के पिता बन गये, जैसा कि उन से कहा गया था, “तुम्हारे असंख्य वंशज होंगे।” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो। नवीन हिंदी बाइबल उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया कि उस वचन के अनुसार वह बहुत सी जातियों का पिता होगा, जैसा उससे कहा गया था : तेरा वंश ऐसा ही होगा। इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिए कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो। |
आशा की वस्तु उपलब्ध न होने पर हृदय खिन्न हो जाता है, किंतु अभिलाषा की पूर्ति जीवन वृक्ष प्रमाणित होती है.
तब याहवेह ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियां इस्राएल के लोग हैं. वे कहते हैं, ‘हमारी हड्डियां सूख गई हैं और हमारी आशा जाती रही; हम अलग हो गये हैं.’
ज़करयाह ने स्वर्गदूत से प्रश्न किया, “मैं कैसे विश्वास करूं—क्योंकि मैं ठहरा एक बूढ़ा व्यक्ति और मेरी पत्नी की आयु भी ढल चुकी है?”
इसलिये साथियो, साहस न छोड़ो क्योंकि मैं परमेश्वर में विश्वास करता हूं. ठीक वैसा ही होगा जैसा मुझे बताया गया है.
जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैंने तुम्हें अनेक राष्ट्रों का पिता ठहराया है.” हमारे गोत्रपिता अब्राहाम ने उन्हीं परमेश्वर में विश्वास किया, जो मरे हुओं को जीवन देते हैं तथा अस्तित्व में आने की आज्ञा उन्हें देते हैं, जो हैं ही नहीं.
अब्राहाम जानते थे कि उनका शरीर मरी हुए दशा में था क्योंकि उनकी आयु लगभग सौ वर्ष थी तथा साराह का गर्भ तो मृत था ही. फिर भी वह विश्वास में कमजोर नहीं हुए.
और आशा लज्जित कभी नहीं होने देती क्योंकि हमें दी हुई पवित्र आत्मा द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उंडेल दिया गया है.
हम इसी आशा में छुड़ाए गए हैं. जब आशा का विषय दृश्य हो जाता है तो आशा का अस्तित्व ही नहीं रह जाता. भला कोई उस वस्तु की आशा क्यों करेगा, जो सामने है?