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मरकुस 14:49 - सरल हिन्दी बाइबल

मंदिर में शिक्षा देते हुए मैं प्रतिदिन तुम्हारे साथ ही होता था, तब तो तुमने मुझे नहीं पकड़ा किंतु अब जो कुछ घटित हो रहा है वह इसलिये कि पवित्र शास्त्र का लेख पूरा हो.”

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पवित्र बाइबल

हर दिन मन्दिर में उपदेश देते हुए मैं तुम्हारे साथ ही था किन्तु तुमने मुझे नहीं पकड़ा। अब यह हुआ ताकि शास्त्र का वचन पूरा हो।”

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Hindi Holy Bible

मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्र शास्त्र की बातें पूरी हों।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मैं प्रतिदिन तुम्‍हारे साथ था, मन्‍दिर में शिक्षा दिया करता था, फिर भी तुम ने मुझे गिरफ्‍तार नहीं किया। खैर, धर्मग्रन्‍थ में जो लिखा है, वह पूरा हो जाए।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा : परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।”

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नवीन हिंदी बाइबल

मैं तो प्रतिदिन तुम्हारे साथ मंदिर-परिसर में उपदेश देता था, तब तो तुमने मुझे नहीं पकड़ा; परंतु यह इसलिए हुआ कि पवित्रशास्‍त्र के लेख पूरे हों।”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिए हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।”

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मरकुस 14:49
27 क्रॉस रेफरेंस  

यह सब इसलिये घटित हुआ कि भविष्यवक्ता के माध्यम से कहा गया प्रभु का यह वचन पूरा हो जाए:


फिर भला पवित्र शास्त्र के लेख कैसे पूरे होंगे, जिनमें लिखा है कि यह सब इसी प्रकार होना अवश्य है?”


तब येशु ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “क्या तुम्हें मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर आने की ज़रूरत थी, जैसे किसी डाकू को पकड़ने के लिए होती है? मैं तो प्रतिदिन मंदिर में बैठकर शिक्षा दिया करता था! तब तुमने मुझे नहीं पकड़ा!


यह सब इसलिये हुआ है कि भविष्यद्वक्ताओं के लेख पूरे हों.” इस समय सभी शिष्य उन्हें छोड़कर भाग चुके थे.


मसीह येशु वहां से निकलकर यहूदिया के उस क्षेत्र में चले गए, जो यरदन नदी के पार था. भीड़ फिर से उनके चारों ओर इकट्ठी हो गई. अपनी रीति के अनुसार मसीह येशु ने एक बार फिर उन्हें शिक्षा देना प्रारंभ किया.


इसके बाद वे दोबारा येरूशलेम नगर आए. जब मसीह येशु मंदिर परिसर में टहल रहे थे, प्रधान पुरोहित, शास्त्री तथा प्रवर (नेतागण) उनके पास आए


मंदिर के आंगन, में शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने उनके सामने यह प्रश्न रखा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि मसीह दावीद के वंशज हैं?


मसीह येशु ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे पकड़ने के लिए तुम तलवार और लाठियां लेकर आए हो मानो मैं कोई डाकू हूं!


सभी शिष्य मसीह येशु को छोड़ भाग चुके थे.


प्रभु येशु हर रोज़ मंदिर में शिक्षा दिया करते थे. प्रधान पुरोहित, शास्त्री तथा जनसाधारण में से प्रधान नागरिक उनकी हत्या की योजना कर रहे थे,


मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि यह जो लेख लिखा है, ‘उसकी गिनती अपराधियों में हुई’ उसका मुझमें पूरा होना ज़रूरी है; क्योंकि मुझसे संबंधित सभी लेखों का पूरा होना अवश्य है.”


मसीह येशु मंदिर परिसर में शलोमोन के द्वारा बनाए हुए मंडप में टहल रहे थे.


मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने संसार से खुलकर बातें की हैं. मैंने हमेशा सभागृहों और मंदिर में शिक्षा दी है, जहां सभी यहूदी इकट्ठा होते हैं. गुप्‍त में मैंने कभी भी कुछ नहीं कहा.


उत्सव के अंतिम दिन, जब उत्सव चरम सीमा पर होता है, मसीह येशु ने खड़े होकर ऊंचे शब्द में कहा, “यदि कोई प्यासा है तो मेरे पास आए और पिए.


मंदिर में अपनी शिक्षा को दोबारा आरंभ करते हुए मसीह येशु ने लोगों से कहा, “संसार की ज्योति मैं ही हूं. जो कोई मेरे पीछे चलता है, वह अंधकार में कभी न चलेगा क्योंकि जीवन की ज्योति उसी में बसेगी.”


भोर को वह दोबारा मंदिर में आए और लोगों के मध्य बैठकर उनको शिक्षा देने लगे.