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भजन संहिता 58:1 - सरल हिन्दी बाइबल

न्यायाधीशो, क्या वास्तव में तुम्हारा निर्णय न्याय संगत होता है? क्या, तुम्हारा निर्णय वास्तव में निष्पक्ष ही होता है?

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पवित्र बाइबल

न्यायाधीशों, तुम पक्षपात रहित नहीं रहे। तुम लोगों का न्याय निज निर्णयों में निष्पक्ष नहीं करते हो।

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Hindi Holy Bible

हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? और हे मनुष्यवंशियों क्या तुम सीधाई से न्याय करते हो?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

ओ प्रभुत्‍व सम्‍पन्न मनुष्‍यों! क्‍या तुम निश्‍चय ही सच्‍चाई से निर्णय करते हो? ओ अधिकार से मंडित लोगो! क्‍या तुम सत्‍यनिष्‍ठा से न्‍याय करते हो?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हे मनुष्यो, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? हे मनुष्यवंशियो, क्या तुम सीधाई से न्याय करते हो?

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नवीन हिंदी बाइबल

हे शासको, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? हे मनुष्यो, क्या तुम खराई से न्याय करते हो?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धार्मिकता की बात बोलते हो? और हे मनुष्य वंशियों क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो?

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भजन संहिता 58:1
18 क्रॉस रेफरेंस  

इस्राएल के परमेश्वर ने, इस्राएल की चट्टान ने मुझसे कहा, ‘वह, जो मनुष्यों पर न्याय के साथ शासन करता है, परमेश्वर की श्रद्धा में शासन करता है,


अत: इस्राएल के सारे प्राचीन हेब्रोन नगर में राजा के सामने इकट्ठा हुए. दावीद ने याहवेह के सामने उनसे वाचा बांधी. तत्पश्चात उन्होंने इस्राएल के लिए दावीद का राजाभिषेक किया.


मुझ पर कृपा कीजिए, हे मेरे परमेश्वर, कृपा कीजिए, क्योंकि मैंने आपको ही अपना आश्रय-स्थल बनाया है. मैं आपके पंखों के नीचे आश्रय लिए रहूंगा, जब तक विनाश मुझ पर से टल न जाए.


परमेश्वर, मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ा लीजिए; मुझे उनसे सुरक्षा प्रदान कीजिए, जो मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं.


देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे.


यह सुन याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी: “इस्राएल में से मेरे सामने सत्तर पुरनिये इकट्‍ठे करो. ये लोग ऐसे हों, जिन्हें तुम जानते हो, जो लोगों में से पुरनिये और अधिकारी हैं. इन्हें तुम मिलनवाले तंबू के सामने अपने साथ लेकर खड़े रहना.


दूसरी ओर प्रधान पुरोहित और वरिष्ठ नागरिक कायाफ़स नामक महापुरोहित के घर के आंगन में इकट्ठा हुए.


प्रातःकाल सभी प्रधान पुरोहितों तथा पुरनियों ने आपस में येशु को मृत्यु दंड देने की सहमति की.


इस पर वे प्रातःकाल मंदिर में जाकर शिक्षा देने लगे. महापुरोहित तथा उनके मंडल के वहां इकट्ठा होने पर उन्होंने समिति का अधिवेशन आमंत्रित किया. इसमें इस्राएल की महासभा को भी शामिल किया गया और आज्ञा दी गई कि कारावास में बंदी प्रेरित उनके सामने प्रस्तुत किए जाएं