क्या संकट में पड़े व्यक्ति के लिए मैंने आंसू नहीं बहाया? क्या दरिद्र व्यक्ति के लिए मुझे वेदना न हुई थी?
भजन संहिता 35:13 - सरल हिन्दी बाइबल जब वे दुःखी थे, मैंने सहानुभूति में शोक-वस्त्र धारण किए, यहां तक कि मैंने दीन होकर उपवास भी किया. जब मेरी प्रार्थनाएं बिना कोई उत्तर के मेरे पास लौट आईं, पवित्र बाइबल उन पर जब दु:ख पड़ा, उनके लिए मैं दु:खी हुआ। मैंने भोजन को त्याग कर अपना दु:ख व्यक्त किया। जो मैंने उनके लिए प्रार्थना की, क्या मुझे यही मिलना चाहिए? Hindi Holy Bible जब वे रोगी थे तब तो मैं टाट पहिने रहा, और उपवास कर करके दु:ख उठाता रहा; और मेरी प्रार्थना का फल मेरी गोद में लौट आया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) परन्तु जब वे रोगी थे, तब मैंने पश्चात्ताप के लिए टाट ओढ़ा था। स्वयं को भूख-प्यास से पीड़ित किया था। मैंने नतमस्तक हो प्रार्थना की थी। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब वे रोगी थे तब तो मैं टाट पहिने रहा, और उपवास कर करके दु:ख उठाता रहा; और मेरी प्रार्थना का फल मेरी गोद में लौट आया। नवीन हिंदी बाइबल जब वे रोगी थे, तो मैंने शोक-वस्त्र पहने, और उपवास रखकर मैंने अपने को दीन किया, पर मेरी प्रार्थना सुनी नहीं गई। इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब वे रोगी थे तब तो मैं टाट पहने रहा, और उपवास कर करके दुःख उठाता रहा; मुझे मेरी प्रार्थना का उत्तर नहीं मिला। (अय्यू. 30:25, रोम. 12:15) |
क्या संकट में पड़े व्यक्ति के लिए मैंने आंसू नहीं बहाया? क्या दरिद्र व्यक्ति के लिए मुझे वेदना न हुई थी?
नगर द्वार पर बैठे हुए पुरुष मुझ पर ताना मारते हैं, मैं पियक्कड़ पुरुषों के गीतों का विषय बन चुका हूं.
‘ऐसा क्यों हुआ कि हमने उपवास किया, किंतु हमारी ओर आपका ध्यान ही नहीं गया? हमने दुःख उठाया, किंतु आपको दिखाई ही नहीं दिया?’ “इसका कारण यह है कि जब तुम उपवास करते हो, तब तुम अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, तुम उस समय अपने सेवकों को कष्ट देते हो.
क्या ऐसा होता है उपवास, जो कोई स्वयं को दीन बनाए? या कोई सिर झुकाए या टाट एवं राख फैलाकर बैठे? क्या इसे ही तुम उपवास कहोगे, क्या ऐसा उपवास याहवेह ग्रहण करेंगे?
“तुम्हारे लिए सदा की विधि यह होगी: सातवें महीने में, उस महीने के दसवें दिन अपने-अपने जीव को दुःख देने के अंतर्गत तुम—स्वदेशी अथवा विदेशी जो तुम्हारे बीच में रहते हैं—कोई भी कार्य न करना;
यह तुम्हारे लिए एक विशेष विश्राम शब्बाथ होगा कि तुम अपने-अपने जीव को दुःख दो; यह एक सदा की विधि है.
यदि वह घर इस योग्य लगे तो उसके लिए शांति की आशीष देना; यदि वह इसके योग्य न लगे तो अपनी शांति की आशीष अपने पास लौट आने देना.
किंतु मेरा तुमसे कहना है कि अपने शत्रुओं से प्रेम करो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना;
यदि परिवार-प्रधान शांति प्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शांति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शांति तुम्हारे ही पास लौट आएगी.