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प्रकाशितवाक्य 9:15 - सरल हिन्दी बाइबल

इसलिये वे चारों स्वर्गदूत, जो इसी क्षण, दिन, माह और वर्ष के लिए तैयार रखे गए थे, एक तिहाई मनुष्यों का संहार करने के लिए आज़ाद कर दिए गए.

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पवित्र बाइबल

सो चारों स्वर्गदूत मुक्त कर दिए गए। वे उसी घड़ी, उसी दिन, उसी महीने और उसी वर्ष के लिए तैयार रखे गए थे ताकि वे एक तिहाई मानव जाति को मार डालें।

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Hindi Holy Bible

और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

उन चार दूतों के बन्‍धन खोल दिये गये, जो उसी घड़ी, दिन, महीने और वर्ष के लिए प्रस्‍तुत थे, जब उन्‍हें एक तिहाई मनुष्‍यों का वध करना था।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।

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नवीन हिंदी बाइबल

अतः उन चारों स्वर्गदूतों को खोल दिया गया जिन्हें उस घड़ी, दिन, महीने और वर्ष के लिए तैयार किया गया था, ताकि वे एक-तिहाई मनुष्यों को मार डालें।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।

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प्रकाशितवाक्य 9:15
9 क्रॉस रेफरेंस  

हज़ार वर्ष का समय पूरा होने पर शैतान उसकी कैद से आज़ाद कर दिया जाएगा.


जब तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो आकाश से एक विशालकाय तारा मशाल के समान जलता हुआ एक तिहाई नदियों तथा जल-स्रोतों पर जा गिरा.


जब पहले स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो आग और ओले उत्पन्‍न हुए, जिनमें लहू मिला हुआ था. उन्हें पृथ्वी पर फेंक दिया गया. परिणामस्वरूप एक तिहाई पृथ्वी जल उठी, एक तिहाई पेड़ भस्म हो गए तथा सारी हरी घास भी.


जब दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो विशाल पर्वत जैसी कोई जलती हुई वस्तु समुद्र में फेंक दी गई जिससे एक तिहाई समुद्र लहू में बदल गया.


इससे एक तिहाई जल जंतु नाश हो गए तथा जलयानों में से एक तिहाई जलयान भी.


उनकी पूंछ बिच्छू के डंक के समान थी और उनकी पूंछ में ही मनुष्यों को पांच माह तक पीड़ा देने की क्षमता थी.


उनके मुंह से निकल रही तीन महामारियों—आग, गंधक तथा धुएं से एक तिहाई मनुष्य नाश हो गए,


उन्हें किसी के प्राण लेने की नहीं परंतु सिर्फ़ पांच माह तक घोर पीड़ा देने की ही आज्ञा दी गई थी. यह पीड़ा वैसी ही थी, जैसी बिच्छू के डंक से होती है.