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प्रकाशितवाक्य 7:15 - सरल हिन्दी बाइबल

इसलिये, “वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उपस्थित हैं और उनके मंदिर में दिन-रात उनकी आराधना करते रहते हैं; और वह, जो सिंहासन पर बैठे हैं, उन्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे.

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पवित्र बाइबल

इसलिए अब ये परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े तथा उसके मन्दिर में दिन रात उसकी उपासना करते हैं। वह जो सिंहासन पर विराजमान है उनमें निवास करते हुए उनकी रक्षा करेगा।

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Hindi Holy Bible

इसी कारण वे परमेश्वर के सिंहासन के साम्हने हैं, और उसके मन्दिर में दिन रात उस की सेवा करते हैं; और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उन के ऊपर अपना तम्बू तानेगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इसलिए ये परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने खड़े रहते और रात-दिन उसके मन्‍दिर में उसकी सेवा करते हैं। जो सिंहासन पर विराजमान है, वह इन पर अपनी छत्रछाया करेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

इसी कारण वे परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मन्दिर में दिन–रात उसकी सेवा करते हैं, और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उनके ऊपर अपना तम्बू तानेगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

इसी कारण वे परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मंदिर में दिन और रात उसकी सेवा करते हैं, और वह जो सिंहासन पर विराजमान है, उन्हें अपनी शरण में ले लेगा।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

“इसी कारण वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मन्दिर में दिन-रात उसकी सेवा करते हैं; और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उनके ऊपर अपना तम्बू तानेगा। (प्रका. 22:3, भज. 134:1,2)

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प्रकाशितवाक्य 7:15
25 क्रॉस रेफरेंस  

मैं इस्राएल वंशजों के बीच रहूंगा और उन्हें छोड़ न दूंगा.”


दावीद का विचार था, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने अपनी प्रजा को सुरक्षा और शांति दी है. अब हमेशा के लिए उनका रहना येरूशलेम में हो गया है.


मैं इस्राएलियों के साथ रहूंगा तथा मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा.


मेरा निवास स्थान उनके साथ होगा; मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा और वे मेरे लोग होंगे.


इसके अलावा मैं तुम्हारे बीच निवास करूंगा और मेरा प्राण तुमसे घृणा न करेगा.


वचन ने शरीर धारण कर हमारे मध्य तंबू के समान वास किया और हमने उनकी महिमा को अपना लिया—ऐसी महिमा को, जो पिता के एकलौते पुत्र की होती है—अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण.


क्या तुम्हें यह अहसास नहीं कि तुम परमेश्वर का मंदिर हो तथा तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है?


या परमेश्वर के मंदिर तथा मूर्तियों में कैसी सहमति? हम जीवित परमेश्वर के मंदिर हैं. जैसा कि परमेश्वर का कहना है: मैं उनमें वास करूंगा, उनके बीच चला फिरा करूंगा, मैं उनका परमेश्वर बनूंगा, और वे मेरी प्रजा.


हम अपनी दृष्टि मसीह येशु, हमारे विश्वास के कर्ता तथा सिद्ध करनेवाले पर लगाए रहें, जिन्होंने उस आनंद के लिए, जो उनके लिए निर्धारित किया गया था, लज्जा की चिंता न करते हुए क्रूस की मृत्यु सह ली और परमेश्वर के सिंहासन की दाहिने ओर बैठ गए.


बड़ी सच्चाई यह है: हमारे महापुरोहित वह हैं, जो स्वर्ग में महामहिम के दायें पक्ष में बैठे हैं,


तब परमेश्वर का मंदिर, जो स्वर्ग में है, खोल दिया गया और उस मंदिर में उनकी वाचा का संदूक दिखाई दिया. उसी समय बिजली कौंधी, गड़गड़ाहट तथा बादलों का गरजना हुआ, एक भीषण भूकंप आया और बड़े-बड़े ओले पड़े.


पशु ने परमेश्वर, उनके नाम तथा उनके निवास अर्थात् स्वर्ग और उन सब की, जो स्वर्ग में रहते हैं, निंदा करना शुरू कर दिया.


तब शैतान को, जिसने उनके साथ छल किया था, आग तथा गंधक की झील में फेंक दिया गया, जहां उस हिंसक पशु और झूठे भविष्यवक्ता को भी फेंका गया है. वहां उन्हें अनंत काल के लिए दिन-रात ताड़ना दी जाती रहेगी.


इस नगर में मुझे कोई मंदिर दिखाई न दिया क्योंकि स्वयं सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर और मेमना इसका मंदिर हैं.


अब से वहां श्रापित कुछ भी न रहेगा. परमेश्वर और मेमने का सिंहासन उस नगर में होगा, उनके दास उनकी आराधना करेंगे.


वहां अब से रात होगी ही नहीं. न तो उन्हें दीपक के प्रकाश की ज़रूरत होगी और न ही सूर्य के प्रकाश की क्योंकि स्वयं प्रभु परमेश्वर उनका उजियाला होगे. वह हमेशा शासन करेंगे.


उस सिंहासन के चारों ओर गोलाई में चौबीस सिंहासन थे. उन सिंहासनों पर सफ़ेद वस्त्रों में, सोने का मुकुट धारण किए हुए चौबीस प्राचीन बैठे थे.


इन चारों प्राणियों में प्रत्येक के छः-छः पंख थे. उनके अंदर की ओर तथा बाहर की ओर आंखें ही आंखें थी. दिन-रात उनकी बिना रुके स्तुति-प्रशंसा यह थी: “पवित्र, पवित्र, पवित्र, प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर! जो थे, जो हैं और जो आनेवाले हैं.”


जब-जब ये प्राणी उनका, जो सिंहासन पर आसीन हैं, जो सदा-सर्वदा जीवित हैं, स्तुति करते, सम्मान करते तथा उनके प्रति धन्यवाद प्रकट करते हैं,


इसके बाद मुझे इतनी बड़ी भीड़ दिखाई दी, जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था. इस समूह में हर एक राष्ट्र, गोत्र, प्रजाति और भाषा के लोग थे, जो सफ़ेद वस्त्र धारण किए तथा हाथ में खजूर की शाखाएं लिए सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े हुए थे.