यह सब इसलिये हुआ कि यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के मुँह से निकला था, वह पूरा हो, कि देश अपने विश्राम कालों में सुख भोगता रहे। इसलिये जब तक वह सूना पड़ा रहा तब तक अर्थात् सत्तर वर्ष के पूरे होने तक उसको विश्राम मिला।
लैव्यव्यवस्था 25:4 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना। पवित्र बाइबल किन्तु सातवें वर्ष तुम उस भूमि को आराम करने दोगे। यह यहोवा को सम्मान देने के लिए आराम का विशेष समय होगा। तुम्हें अपने खेतों में बीज नहीं बोना चाहिए और अँगूर के बागों में बेलों की कटाई नहीं करनी चाहिए। Hindi Holy Bible परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उस में न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छांटना। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) किन्तु सातवें वर्ष में भूमि को परम विश्राम प्राप्त होगा : प्रभु का विश्राम-वर्ष। तुम उस वर्ष न तो अपने खेत की बुवाई करोगे और न अपने अंगूर-उद्यान की काट-छांट। नवीन हिंदी बाइबल परंतु सातवाँ वर्ष भूमि के लिए परमविश्राम का समय हो, यह यहोवा के नाम से सब्त का विश्राम हो। तुम इसमें न तो अपने खेत में बोआई करना और न अपनी दाख की बारी छाँटना। सरल हिन्दी बाइबल किंतु सातवें वर्ष में भूमि के लिए शब्बाथ-विश्राम होगा याहवेह के लिए शब्बाथ; न तो तुम अपने खेतों में बीज बोना और न ही अपनी अंगूर की बारी की छंटाई करना. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना। |
यह सब इसलिये हुआ कि यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के मुँह से निकला था, वह पूरा हो, कि देश अपने विश्राम कालों में सुख भोगता रहे। इसलिये जब तक वह सूना पड़ा रहा तब तक अर्थात् सत्तर वर्ष के पूरे होने तक उसको विश्राम मिला।
जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगे उसे न काटना, और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
पर वह देश उनसे रहित होकर सूना पड़ा रहेगा, और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे, इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया था, और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी।