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लूका 12:16 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उसने उनसे एक दृष्‍टान्त कहा : “किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।

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पवित्र बाइबल

फिर उसने उन्हें एक दृष्टान्त कथा सुनाई: “किसी धनी व्यक्ति की धरती पर भरपूर उपज हुई।

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Hindi Holy Bible

उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

फिर येशु ने उन को यह दृष्‍टान्‍त सुनाया, “किसी धनवान की भूमि पर बहुत फसल हुई।

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नवीन हिंदी बाइबल

फिर यीशु ने उनसे एक दृष्‍टांत कहा :“किसी धनी मनुष्य के खेत में अच्छी उपज हुई।

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सरल हिन्दी बाइबल

तब प्रभु येशु ने उनके सामने यह दृष्टांत प्रस्तुत किया: “किसी व्यक्ति की भूमि से अच्छी फसल उत्पन्‍न हुई.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।

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लूका 12:16
13 क्रॉस रेफरेंस  

डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो परमेश्‍वर को क्रोध दिलाते हैं, वे बहुत ही निडर रहते हैं; अर्थात् उनका ईश्‍वर उनकी मुट्ठी में रहता है।


वह उन्हें ऐसे बेखटके कर देता है, कि वे सम्भले रहते हैं; और उसकी कृपादृष्‍टि उनकी चाल पर लगी रहती है।


देखो, ये तो दुष्‍ट लोग हैं, तौभी सदा आराम से रहकर, धन सम्पत्ति बटोरते रहते हैं।


क्योंकि जब मैं दुष्‍टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।


देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न संभालती थी।


वह यह नहीं जानती थी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता था, और उसके लिए वह चाँदी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता था।


पर कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, और कोई तीस गुना।


जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भले और बुरे दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मी और अधर्मी दोनों पर मेंह बरसाता है।


और उसने उनसे कहा, “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी सम्पत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”


तब वह अपने मन में विचार करने लगा, ‘मैं क्या करूँ? क्योंकि मेरे यहाँ जगह नहीं जहाँ अपनी उपज इत्यादि रखूँ।’


तौभी उसने अपने आप को बे–गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।”