फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।”
यशायाह 26:17 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जैसे गर्भवती स्त्री जनने के समय ऐंठती और पीड़ा के कारण चिल्ला उठती है, हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे सामने वैसे ही हो गए हैं। पवित्र बाइबल हे यहोवा, हम तेरे कारण ऐसे होते हैं जैसे प्रसव पीड़ा को झेलती स्त्री हो जो बच्चे को जन्म देते समय रोती—बिलखती और पीड़ा भोगती है। Hindi Holy Bible जैसे गर्भवती स्त्री जनने के समय ऐंठती और पीड़ों के कारण चिल्ला उठती है, हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे साम्हने वैसे ही हो गए हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु, तेरे सम्मुख हम गर्भवती स्त्री के समान थे : जब उसका जनने का समय आता है तब वह प्रसव-पीड़ा से चीखती है। सरल हिन्दी बाइबल जिस प्रकार जन्म देने के समय प्रसूता प्रसव पीड़ा में चिल्लाती और छटपटाती है, उसी प्रकार याहवेह आपके सामने हमारी स्थिति भी ऐसी ही है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जैसे गर्भवती स्त्री जनने के समय ऐंठती और पीड़ा के कारण चिल्ला उठती है, हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे सामने वैसे ही हो गए हैं। (भज. 48:6) |
फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।”
और वे घबरा जाएँगे। उनको पीड़ा और शोक होगा; उनको ज़च्चा की सी पीड़ाएँ उठेंगी। वे चकित होकर एक दूसरे को ताकेंगे; उनके मुँह जल जाएँगे।
इस कारण मेरी कटि में कठिन पीड़ा है; मुझ को मानो ज़च्चा की सी पीड़ा हो रही है; मैं ऐसे संकट में पड़ गया हूँ कि कुछ सुनाई नहीं देता, मैं ऐसा घबरा गया हूँ कि कुछ दिखाई नहीं देता।
उन्होंने उससे कहा, “हिजकिय्याह यों कहता है, ‘आज का दिन संकट और उलाहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर ज़च्चा को जनने का बल न रहा।
पूछो तो भला, और देखो, क्या पुरुष को भी कहीं जनने की पीड़ा उठती है? फिर क्या कारण है कि सब पुरुष ज़च्चा के समान अपनी अपनी कमर अपने हाथों से दबाए हुए दिखाई पड़ते हैं? क्यों सब के मुख पीले पड़ गए हैं?
क्योंकि मैं ने ज़च्चा का शब्द, पहिलौठा जनती हुई स्त्री की सी चिल्लाहट सुनी है, यह सिय्योन की बेटी का शब्द है, जो हाँफती और हाथ फैलाए हुए यों कहती है, “हाय मुझ पर, मैं हत्यारों के हाथ पड़कर मूर्च्छित हो चली हूँ।”
इसका समाचार सुनते ही हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं; हम संकट में पड़े हैं; ज़च्चा की सी पीड़ा हम को उठी है।
प्रसव के समय स्त्री को शोक होता है, क्योंकि उसकी दु:ख की घड़ी आ पहुँची है, परन्तु जब वह बालक को जन्म दे चुकती है, तो इस आनन्द से कि संसार में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती।
जब लोग कहते होंगे, “कुशल है, और कुछ भय नहीं,” तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से न बचेंगे।