वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
भजन संहिता 52:8 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के वृक्ष के समान हूँ। मैं ने परमेश्वर की करुणा पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा रखा है। पवित्र बाइबल किन्तु मैं परमेश्वर के मन्दिर में एक हरे जैतून के वूक्ष सा हूँ। परमेश्वर की करूणा का मुझको सदा—सदा के लिए भरोसा है। Hindi Holy Bible परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जलपाई के वृक्ष के समान हूं। मैं ने परमेश्वर की करूणा पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा रखा है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पर मैं परमेश्वर के घर मे हरे-भरे जैतून वृक्ष के सदृश हूँ; मैं परमेश्वर की करुणा पर सदा भरोसा करता हूँ। नवीन हिंदी बाइबल परंतु मैं तो परमेश्वर के भवन में जैतून के हरे-भरे वृक्ष के समान हूँ। मैं सदा परमेश्वर की करुणा पर भरोसा रखता हूँ। सरल हिन्दी बाइबल किंतु मैं परमेश्वर के निवास के हरे-भरे जैतून वृक्ष के समान हूं; मैं परमेश्वर के करुणा-प्रेम पर सदा-सर्वदा भरोसा रखता हूं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के वृक्ष के समान हूँ। मैंने परमेश्वर की करुणा पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा रखा है। |
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
तेरे घर के भीतर तेरी स्त्री फलवन्त दाखलता सी होगी; तेरी मेज़ के चारों ओर तेरे बालक जलपाई के पौधे से होंगे।
यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात् उन से जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं।
देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करुणा की आशा रखते हैं, बनी रहती है,
तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है; निश्चय परमेश्वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है।
यहोवा ने तुझ को हरा, मनोहर, सुन्दर फलवाला जैतून तो कहा था, परन्तु उसने बड़े हुल्लड़ के शब्द होते ही उसमें आग लगाई, और उसकी डालियाँ तोड़ डाली गईं।
क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध अच्छे जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियाँ हैं, अपने ही जैतून में क्यों न साटे जाएँगे।