मैं धर्म को पहिने रहा, और वह मुझे ढाँके रहा; मेरा न्याय का काम मेरे लिये बागे और सुन्दर पगड़ी का काम देता था।
भजन संहिता 109:18 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) वह शाप देना वस्त्र के समान पहिनता था, और वह उसके पेट में जल के समान, और उसकी हड्डियों में तेल के समान समा गया। पवित्र बाइबल वह शाप को वस्त्रों सा ओढ़ लें। शाप ही उसके लिये पानी बन जाये वह जिसको पीता रहे। शाप ही उसके शरीर पर तेल बनें। Hindi Holy Bible वह शाप देना वस्त्र की नाईं पहिनता था, और वह उसके पेट में जल की नाईं और उसकी हडि्डयों में तेल की नाईं समा गया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यह वस्त्र की भांति अभिशाप धारण करता था! जल के सदृश अभिशाप इसके पेट में, तेल के समान इसकी हड्डियों में समा जाए। नवीन हिंदी बाइबल उसने शाप को अपने वस्त्र के समान पहन लिया; शाप उसके पेट में पानी के समान और उसकी हड्डियों में तेल के समान समा जाए। सरल हिन्दी बाइबल उसके लिए वस्त्र धारण करने जैसे ही हो गया शाप देना; जैसा जल शरीर का अंश होता है; वैसे ही हो गया शाप, हां, जैसे तेल हड्डियों का अंश हो जाता है! इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 वह श्राप देना वस्त्र के समान पहनता था, और वह उसके पेट में जल के समान और उसकी हड्डियों में तेल के समान समा गया। |
मैं धर्म को पहिने रहा, और वह मुझे ढाँके रहा; मेरा न्याय का काम मेरे लिये बागे और सुन्दर पगड़ी का काम देता था।
अर्थात् वह जल जो शाप का कारण होता है तेरी अंतड़ियों में जाकर तेरे पेट को फुलाए, और तेरी जाँघ को सड़ा दे। तब वह स्त्री कहे, आमीन, आमीन।
और जब वह उसे वह जल पिला चुके, तब यदि वह अशुद्ध हुई हो और अपने पति का विश्वासघात किया हो, तो वह जल जो शाप का कारण होता है उस स्त्री के पेट में जाकर कड़वा हो जाएगा, और उसका पेट फूलेगा, और उसकी जाँघ सड़ जाएगी, और उस स्त्री का नाम उसके लोगों के बीच शापित होगा।
मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य के लिये शोक है जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है : यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता, तो उसके लिये भला होता।”
(उसने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया, और सिर के बल गिरा और उसका पेट फट गया और उसकी सब अन्तड़ियाँ निकल पड़ीं।
इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो,
पर अब तुम भी इन सब को, अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुँह से गालियाँ बकना ये सब बातें छोड़ दो।
इसी प्रकार हे नवयुवको, तुम भी प्राचीनों के अधीन रहो, वरन् तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बाँधे रहो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।”