मेरे चुने हुए लोग तुम्हारी उपमा दे दे कर शाप देंगे, और प्रभु यहोवा तुझ को नष्ट करेगा; परन्तु अपने दासों का दूसरा नाम रखेगा।
प्रेरितों के काम 6:14 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि हम ने उसे यह कहते सुना है कि यही यीशु नासरी इस जगह को ढा देगा, और उन रीतियों को बदल डालेगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं।” पवित्र बाइबल हमने इसे कहते सुना है कि यह नासरी यीशु इस स्थान को नष्ट-भ्रष्ट कर देगा और मूसा ने जिन रीति-रिवाजों को हमें दिया है उन्हें बदल देगा।” Hindi Holy Bible क्योंकि हम ने उसे यह कहते सुना है, कि यही यीशु नासरी इस जगह को ढ़ा देगा, और उन रीतों को बदल डालेगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) हमने इसे यह कहते सुना है कि येशु नासरी यह स्थान नष्ट कर देगा और मूसा के द्वारा दी गई प्रथाओं को बदल देगा।” नवीन हिंदी बाइबल हमने इसे यह कहते हुए सुना है कि वही यीशु नासरी इस स्थान को ढा देगा और उन रीतियों को बदल देगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं।” सरल हिन्दी बाइबल हमने इसे यह कहते भी सुना है कि नाज़रेथवासी येशु इस स्थान को नाश कर देगा तथा उन सभी प्रथाओं को बदल देगा, जो हमें मोशेह द्वारा सौंपी गई हैं.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि हमने उसे यह कहते सुना है, कि यही यीशु नासरी इस जगह को ढा देगा, और उन रीतियों को बदल डालेगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं।” |
मेरे चुने हुए लोग तुम्हारी उपमा दे दे कर शाप देंगे, और प्रभु यहोवा तुझ को नष्ट करेगा; परन्तु अपने दासों का दूसरा नाम रखेगा।
तब यिर्मयाह ने सब हाकिमों और सब लोगों से कहा, “जो वचन तुम ने सुने हैं, उसे यहोवा ही ने मुझे इस भवन और इस नगर के विरुद्ध भविष्यद्वाणी की रीति पर कहने के लिये भेज दिया है।
“यहूदा के राजा हिजकिय्याह के दिनों में मोरसेतवासी मीकायाह भविष्यद्वाणी कहता था, उसने यहूदा के सारे लोगों से कहा : ‘सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा और यरूशलेम खण्डहर हो जाएगा, और भवनवाला पर्वत जंगली स्थान हो जाएगा।’
उन बासठ सप्ताहों के बीतने पर अभिषिक्त पुरुष काटा जाएगा : और उसके हाथ कुछ न लगेगा; और आनेवाले प्रधान की प्रजा नगर और पवित्रस्थान को नष्ट तो करेगी। परन्तु उस प्रधान का अन्त ऐसा होगा जैसा बाढ़ से होता है; तौभी उसके अन्त तक लड़ाई होती रहेगी; क्योंकि उसका उजड़ जाना निश्चय ठान लिया गया है।
क्योंकि इस्राएली बहुत दिन तक बिना राजा, बिना हाकिम, बिना यज्ञ, बिना लाठ, और बिना एपोद या गृहदेवताओं के बैठे रहेंगे।
इसलिये तुम्हारे कारण सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा, और यरूशलेम खण्डहरों का ढेर हो जाएगा, और जिस पर्वत पर भवन बना है, वह वन के ऊँचे स्थान–सा हो जाएगा।
क्योंकि मैं सब जातियों को यरूशलेम से लड़ने के लिये इकट्ठा करूँगा, और वह नगर ले लिया जाएगा, और घर लूटे जाएँगे और स्त्रियाँ भ्रष्ट की जाएँगी; नगर के आधे लोग बँधुआई में जाएँगे, परन्तु प्रजा के शेष लोग नगर ही में रहने पाएँगे।
और कहा, “इसने कहा है कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ।”
“हम ने इसे यह कहते सुना है, ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा,जो हाथ से न बना हो।’ ”
वे तलवार के कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्दी होकर पहुँचाए जाएँगे; और जब तक अन्य जातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा।
“वे दिन आएँगे, जिनमें यह सब जो तुम देखते हो, उनमें से यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा जो ढाया न जाएगा।”
यीशु ने उससे कहा, “हे नारी, मेरी बात का विश्वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता की आराधना करोगे, न यरूशलेम में।
फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे : “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।”
उनको तेरे विषय में सिखाया गया है कि तू अन्यजातियों में रहनेवाले यहूदियों को मूसा से फिर जाने को सिखाता है, और कहता है, कि न अपने बच्चों का खतना कराओ और न रीतियों पर चलो।
परन्तु पौलुस ने उत्तर दिया, “मैं ने न तो यहूदियों की व्यवस्था के और न मन्दिर के, और न ही कैसर के विरुद्ध कोई अपराध किया है।”
विशेष करके इसलिये कि तू यहूदियों के सब व्यवहारों और विवादों को जानता है। अत: मैं विनती करता हूँ, धीरज से मेरी सुन।
तीन दिन के बाद उसने यहूदियों के प्रमुख लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उनसे कहा, “हे भाइयो, मैं ने अपने लोगों के या बापदादों के व्यवहारों के विरोध में कुछ भी नहीं किया, तौभी बन्दी बनाकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
तब फिर व्यवस्था क्यों दी गई? वह तो अपराधों के कारण बाद में दी गई कि उस वंश के आने तक रहे, जिस को प्रतिज्ञा दी गई थी; और वह स्वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ ठहराई गई।
पर विश्वास के आने से पहले व्यवस्था की अधीनता में हमारी रखवाली होती थी, और उस विश्वास के आने तक जो प्रगट होनेवाला था, हम उसी के बन्धन में रहे।