उन दिनों जो सम्मति अहीतोपेल देता था, वह ऐसी होती थी कि मानो कोई परमेश्वर का वचन पूछ लेता हो। अहीतोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशालोम को, जो जो सम्मति देता वह ऐसी ही होती थी।
इब्रानियों 5:12 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) समय के विचार से तो तुम्हें गुरु हो जाना चाहिए था, तौभी यह आवश्यक हो गया है कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए। तुम तो ऐसे हो गए हो कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए। पवित्र बाइबल वास्तव में इस समय तक तो तुम्हें शिक्षा देने वाला बन जाना चाहिए था। किन्तु तुम्हें तो अभी किसी ऐसे व्यक्ति की ही आवश्यकता है जो तुम्हें नए सिरे से परमेश्वर की शिक्षा की प्रारम्भिक बातें ही सिखाए। तुम्हें तो बस अभी दूध ही चाहिए, ठोस आहार नहीं। Hindi Holy Bible समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए ओर ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस समय तक आप लोगों को शिक्षक हो जाना चाहिए था, किन्तु यह आवश्यक हो गया है कि कोई आप को दुबारा परमेश्वर के वचनों का प्रारम्भिक ज्ञान दे। आप लोगों को ठोस भोजन की नहीं, बल्कि दूध की आवश्यकता है। नवीन हिंदी बाइबल इस समय तक तो तुम्हें गुरु बन जाना चाहिए था, परंतु तुम्हें आवश्यकता है कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों के मूल सिद्धांतों को फिर से सिखाए। तुम्हें ठोस भोजन की नहीं परंतु दूध की आवश्यकता है। सरल हिन्दी बाइबल समय के अनुसार तो तुम्हें अब तक शिक्षक बन जाना चाहिए था किंतु अब आवश्यक यह हो गया है कि कोई तुम्हें दोबारा परमेश्वर के ईश्वरीय वचनों के शुरू के सिद्धांतों की शिक्षा दे. तुम्हें ठोस आहार नहीं, दूध की ज़रूरत हो गई है! इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 समय के विचार से तो तुम्हें गुरु हो जाना चाहिए था, तो भी यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? तुम तो ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए। |
उन दिनों जो सम्मति अहीतोपेल देता था, वह ऐसी होती थी कि मानो कोई परमेश्वर का वचन पूछ लेता हो। अहीतोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशालोम को, जो जो सम्मति देता वह ऐसी ही होती थी।
क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था।
इसलिये यहोवा का वचन उनके पास आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा, नियम पर नियम, नियम पर नियम है, थोड़ा यहाँ, थोड़ा वहाँ, जिससे वे ठोकर खाकर चित्त गिरें और घायल हो जाएँ, और फंदे में फँसकर पकड़े जाएँ।
“अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ; और जिनके पास रुपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रुपए और बिना दाम ही आकर ले लो।
यीशु ने उत्तर दिया, “हे अविश्वासी और हठीले लोगो, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।”
यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगो, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।”
यह वही है, जिसने जंगल में कलीसिया के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उससे बातें कीं और हमारे बापदादों के साथ था, उसी को जीवित वचन मिले कि हम तक पहुँचाए।
परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हज़ार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि दूसरों को सिखाने के लिये बुद्धि से पाँच ही बातें कहूँ।
इसलिये हे मेरे भाइयो, प्रभु में आनन्दित रहो। वे ही बातें तुम को बार बार लिखने में मुझे तो कोई कष्ट नहीं होता, और इसमें तुम्हारी कुशलता है,
मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
परन्तु उन पिछले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दु:खों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे।
इसके विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिनका समझाना भी कठिन है, इसलिये कि तुम ऊँचा सुनने लगे हो।
इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़कर हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएँ, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने,
नये जन्मे हुए बच्चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ,
यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले मानो परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे, तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिससे सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो। महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी का है। आमीन।