क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?
अय्यूब 19:7 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! यों चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दोहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता। पवित्र बाइबल मैं पुकारा करता हूँ, ‘मेरे संग बुरा किया है।’ लेकिन मुझे कोई उत्तर नहीं मिलता हूँ। चाहे मैं न्याय की पुकार पुकारा करुँ मेरी कोई नहीं सुनता है। Hindi Holy Bible देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! यों चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दोहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं सहायता के लिए पुकारता हूँ: “मुझ पर अत्याचार हो रहा है! मुझे बचाओ!” पर मुझे कोई उत्तर नहीं देता। मैं न्याय के लिए दुहाई देता हूँ, पर मुझे न्याय नहीं मिलता! सरल हिन्दी बाइबल “मैं तो चिल्ला रहा हूं, ‘अन्याय!’ किंतु मुझे कोई उत्तर नहीं मिल रहा; मैं सहायता के लिए पुकार रहा हूं, किंतु न्याय कहीं से मिल नहीं रहा है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दुहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता। |
क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?
कि कोई परमेश्वर के सामने सज्जन का मुक़द्दमा लड़े, जैसा कोई अपने पड़ोसी के लिये लड़ता है।
“देखो, मैं तुम्हारी कल्पनाएँ जानता हूँ, और उन युक्तियों को भी, जो तुम मेरे विषय में अन्याय से करते हो।
मैं तेरी दोहाई देता हूँ, परन्तु तू नहीं सुनता; मैं खड़ा होता हूँ परन्तु तू मेरी ओर घूरने लगता है।
मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए मानो बिना सूर्य की गर्मी के काला हो गया हूँ। मैं सभा में खड़ा होकर सहायता के लिये दोहाई देता हूँ।
क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा?
देश दुष्टों के हाथ में दिया गया है। वह उसके न्यायियों की आँखों को बन्द कर देता है; इसका करनेवाला वही न हो तो कौन है?
क्योंकि वह मेरे तुल्य मनुष्य नहीं है कि मैं उससे वादविवाद कर सकूँ, और हम दोनों एक दूसरे से मुक़द्दमा लड़ सकें।
हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
क्योंकि जब मैं बातें करता हूँ, तब मैं जोर से पुकार पुकारकर ललकारता हूँ, “उपद्रव और उत्पात हुआ, हाँ उत्पात!” क्योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है।