ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनों


संपूर्ण बाइबिल पुराना वसीयतनामा नया करार




अय्यूब 14:7 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

“वृक्ष के लिये तो आशा रहती है, कि चाहे वह काट डाला भी जाए, तौभी फिर पनपेगा और उससे नर्म नर्म डालियाँ निकलती ही रहेंगी।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबल

“किन्तु यदि वृक्ष को काट गिराया जाये तो भी आशा उसे रहती है कि वह फिर से पनप सकता है, क्योंकि उसमें नई नई शाखाऐं निकलती रहेंगी।

अध्याय देखें

Hindi Holy Bible

वृक्ष की तो आशा रहती है, कि चाहे वह काट डाला भी जाए, तौभी फिर पनपेगा और उस से नर्म नर्म डालियां निकलती ही रहेंगी।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

‘वृक्ष’ को भी अपने पुनर्जीवन की आशा है; यदि वह काट लिया जाए तो भी वह पुन: पनप उठेगा; और उसमें से अंकुर फूटेंगे।

अध्याय देखें

सरल हिन्दी बाइबल

“वृक्ष के लिए तो सदैव आशा बनी रहती है: जब उसे काटा जाता है, उसके तने से अंकुर निकल आते हैं. उसकी डालियां विकसित हो जाती हैं.

अध्याय देखें

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

“वृक्ष के लिये तो आशा रहती है, कि चाहे वह काट डाला भी जाए, तो भी फिर पनपेगा और उससे नर्म-नर्म डालियाँ निकलती ही रहेंगी।

अध्याय देखें



अय्यूब 14:7
10 क्रॉस रेफरेंस  

यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? जब तक मेरा छुटकारा न होता तब तक मैं अपनी कठिन सेवा के सारे दिन आशा लगाए रहता।


इस कारण उससे अपना मुँह फेर ले कि वह आराम करे, जब तक कि वह मजदूर के समान अपना दिन पूरा न कर ले।


चाहे उसकी जड़ भूमि में पुरानी भी हो जाए, और उसका ठूँठ मिट्टी में सूख भी जाए,


उसने चारों ओर से मुझे तोड़ दिया, बस मैं जाता रहा, और मेरी आशा को उसने वृक्ष के समान उखाड़ डाला है।


तब यिशै के ठूँठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी।


भविष्य में याकूब जड़ पकड़ेगा, और इस्राएल फूले–फलेगा, और उसके फलों से जगत भर जाएगा।


चाहे उसके निवासियों का दसवाँ अंश भी रह जाए, तौभी वह नष्‍ट किया जाएगा, परन्तु जैसे छोटे या बड़े बांजवृक्ष को काट डालने पर भी उसका ठूँठ बना रहता है, वैसे ही पवित्र वंश उसका ठूँठ रहेगा।”


उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहाँ तक कि उसमें सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे।


तौभी उसके ठूँठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर मैदान की हरी घास के बीच रहने दो। वह आकाश की ओस से भीगा करे और भूमि की घास खाने में मैदान के पशुओं के संग भागी हो।