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1 यूहन्ना 4:4 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हे बालको, तुम परमेश्‍वर के हो, और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है वह उस से जो संसार में है, बड़ा है।

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पवित्र बाइबल

हे प्यारे बच्चों, तुम परमेश्वर के हो। इसलिए तुमने मसीह के शत्रुओं पर विजय पा ली है। क्योंकि वह परमेश्वर जो तुममें है, संसार में रहने वाले शैतान से महान है।

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Hindi Holy Bible

हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

बच्‍चो! तुम परमेश्‍वर के हो और तुम ने उन लोगों पर विजय पायी है; क्‍योंकि जो तुम में है, वह उस से महान् है, जो संसार में है।

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नवीन हिंदी बाइबल

बच्‍चो, तुम परमेश्‍वर के हो और तुमने झूठे भविष्यवक्‍ताओं पर जय पाई है, क्योंकि जो तुममें है वह उससे जो संसार में है, कहीं अधिक बढ़कर है।

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सरल हिन्दी बाइबल

प्रिय भाई बहनो, तुम परमेश्वर के हो. तुमने झूठे भविष्यद्वक्ताओं को हराया है; श्रेष्ठ वह हैं, जो तुम्हारे अंदर में हैं, बजाय उसके जो संसार में है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हे प्रिय बालकों, तुम परमेश्वर के हो और उन आत्माओं पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उससे जो संसार में है, बड़ा है।

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1 यूहन्ना 4:4
28 क्रॉस रेफरेंस  

अब इस संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जाएगा;


मैं अब तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूँगा, क्योंकि इस संसार का सरदार आता है। मुझ पर उसका कोई अधिकार नहीं;


न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।


मैं उन में और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ, और संसार जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा वैसा ही उनसे प्रेम रखा।


अत: हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?


परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।


परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है जो परमेश्‍वर की ओर से है कि हम उन बातों को जानें जो परमेश्‍वर ने हमें दी हैं।


भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्तु परमेश्‍वर इस को और उस को दोनों को नष्‍ट करेगा। परन्तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन् प्रभु के लिये है, और प्रभु देह के लिये है।


और उन अविश्‍वासियों के लिये, जिन की बुद्धि इस संसार के ईश्‍वर ने अंधी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्‍वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।


और मूर्तियों के साथ परमेश्‍वर के मन्दिर का क्या सम्बन्ध? क्योंकि हम तो जीवते परमेश्‍वर के मन्दिर हैं; जैसा परमेश्‍वर ने कहा है, “मैं उनमें बसूँगा और उनमें चला फिरा करूँगा; और मैं उनका परमेश्‍वर हूँगा, और वे मेरे लोग होंगे।”


जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है।


और विश्‍वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर,


इसलिये प्रभु में और उसकी शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनो।


हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूँ कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धर्मी यीशु मसीह;


हे पितरो, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूँ कि जो आदि से है तुम उसे जानते हो। हे जवानो, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूँ कि तुम ने उस दुष्‍ट पर जय पाई है। हे लड़को, मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है कि तुम पिता को जान गए हो।


क्योंकि परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है, और सब कुछ जानता है।


जो उसकी आज्ञाओं को मानता है, वह उसमें और वह उन में बना रहता है : और इसी से, अर्थात् उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं कि वह हम में बना रहता है।


इसी से हम जानते हैं कि हम उसमें बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है।


जो प्रेम परमेश्‍वर हम से रखता है, उसको हम जान गए और हमें उसका विश्‍वास है। परमेश्‍वर प्रेम है, और जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्‍वर में बना रहता है, और परमेश्‍वर उसमें बना रहता है।


हम परमेश्‍वर के हैं। जो परमेश्‍वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्‍वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता। इस प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं।


हम जानते हैं कि हम परमेश्‍वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है।


क्योंकि जो कुछ परमेश्‍वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्‍त करता है; और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्‍त होती है हमारा विश्‍वास है।


वे मेम्ने के लहू के कारण और अपनी गवाही के वचन के कारण उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहाँ तक कि मृत्यु भी सह ली।