कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है।
1 तीमुथियुस 6:4 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता; वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे–बुरे सन्देह, पवित्र बाइबल तो वह अहंकार में फूला है तथा कुछ भी नहीं जानता है। वह तो कुतर्क करने और शब्दों को लेकर झगड़ने के रोग से घिरा है। इन बातों से तो ईर्ष्या, बैर, निन्दा-भाव तथा गाली-गलौज Hindi Holy Bible तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता, वरन उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिन से डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे बुरे सन्देह। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तो मैं समझता हूँ कि घमण्ड ने उसे अन्धा बना दिया है; वह कुछ नहीं समझता और उसे वाद-विवाद तथा निरर्थक शास्त्रार्थ करने का रोग हो गया है। इस प्रकार के विवादों से ईष्र्या, फूट, परनिन्दा, दूसरों पर कुत्सित सन्देह नवीन हिंदी बाइबल तो वह अभिमानी हो गया है, और कुछ नहीं समझता, बल्कि उसे वाद-विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे ईर्ष्या, कलह, निंदा, बुरी-बुरी आशंकाएँ, सरल हिन्दी बाइबल वह अभिमानी है, अज्ञानी है तथा उसे बिना मतलब के वाद-विवाद व शब्दों के युद्ध का रोग है, जिसके परिणामस्वरूप जलन, झगड़े, दूसरों की बुराई, बुरे संदेह इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तो वह अभिमानी है और कुछ नहीं जानता, वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिनसे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे-बुरे सन्देह, |
कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है।
जैसे बादल और पवन बिना वृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ–मूठ दान देनेवाले का बड़ाई मारना होता है।
यदि तू ऐसा मनुष्य देखे जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान बनता हो, तो उससे अधिक आशा मूर्ख ही से है।
सुनो, तुम्हारे उपवास का फल यह होता है कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घूँसे मारते हो। जैसा उपवास तुम आजकल रखते हो, उस से तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी।
जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत झगड़ा और वाद–विवाद हुआ तो यह ठहराया गया कि पौलुस और बरनबास और उनमें से कुछ व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ।
परन्तु यदि यह वाद–विवाद शब्दों, और नामों, और तुम्हारे यहाँ की व्यवस्था के विषय में है, तो तुम ही जानो; क्योंकि मैं इन बातों का न्यायी नहीं बनना चाहता।”
इससे पहले उस नगर में शमौन नामक एक मनुष्य था, जो जादू–टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को एक बड़ा पुरुष बताता था।
आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
जैसा दिन को शोभा देता है, वैसा ही हम सीधी चाल चलें, न कि लीला–क्रीड़ा और पियक्कड़पन में, न व्यभिचार और लुचपन में, और न झगड़े और डाह में।
जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो, परन्तु उसकी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं।
पर जो विवादी हैं और सत्य को नहीं मानते, वरन् अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
परन्तु यदि कोई विवाद करना चाहे, तो यह जान ले कि न हमारी और न परमेश्वर की कलीसियाओं की ऐसी रीति है।
क्योंकि पहले तो मैं यह सुनता हूँ, कि जब तुम कलीसिया में इकट्ठे होते हो तो तुम में फूट होती है, और मैं इस पर कुछ–कुछ विश्वास भी करता हूँ।
कोई अपने आप को धोखा न दे। यदि तुम में से कोई इस संसार में अपने आप को ज्ञानी समझे, तो मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाए।
क्योंकि अब तक शारीरिक हो। इसलिये कि जब तुम में डाह और झगड़ा है, तो क्या तुम शारीरिक नहीं? और क्या मनुष्य की रीति पर नहीं चलते?
क्योंकि जब तुम्हें कोई दास बना लेता है, या खा जाता है, या फँसा लेता है, या अपने आप को बड़ा बनाता है, या तुम्हारे मुँह पर थप्पड़ मारता है, तो तुम सह लेते हो।
पर यदि तुम एक दूसरे को दाँत से काटते और फाड़ खाते हो, तो चौकस रहो कि एक दूसरे का सत्यानाश न कर दो।
कोई मनुष्य आत्महीनता और स्वर्गदूतों की पूजा कराके तुम्हें दौड़ के प्रतिफल से वंचित न करे। ऐसा मनुष्य देखी हुई बातों में लगा रहता है और अपनी शारीरिक समझ पर व्यर्थ फूलता है,
जो विरोध करता है, और हर एक से जो ईश्वर या पूज्य कहलाता है, अपने आप को बड़ा ठहराता है, यहाँ तक कि वह परमेश्वर के मन्दिर में बैठकर अपने आप को ईश्वर ठहराता है।
और उन कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएँ, जिनसे विवाद होते हैं, और परमेश्वर के उस प्रबन्ध के अनुसार नहीं, जो विश्वास पर आधारित है। वैसे ही फिर भी कहता हूँ।
और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिनको दृढ़ता से बोलते हैं, उनको समझते भी नहीं।
इन बातों की सुधि उन्हें दिला और प्रभु के सामने चिता दे कि शब्दों पर तर्क–वितर्क न किया करें, जिनसे कुछ लाभ नहीं होता वरन् सुननेवाले बिगड़ जाते हैं।
पर मूर्खता और अविद्या के विवादों से अलग रह, क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं।
पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और विरोध और झगड़ों से जो व्यवस्था के विषय में हों, बचा रह; क्योंकि वे निष्फल और व्यर्थ हैं।
हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जान लो : हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो,
पर ये लोग निर्बुद्धि पशुओं ही के तुल्य हैं, जो पकड़े जाने और नाश होने के लिये उत्पन्न हुए हैं; और जिन बातों को जानते ही नहीं उनके विषय में दूसरों को बुरा भला कहते हैं, वे अपनी सड़ाहट में आप ही सड़ जाएँगे।
वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फँसा लेते हैं जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।
पर ये लोग जिन बातों को नहीं जानते उनको बुरा–भला कहते हैं, और जिन बातों को अचेतन पशुओं के समान स्वभाव ही से जानते हैं, उनमें अपने आप को नष्ट करते हैं।
ये तो असंतुष्ट, कुड़कुड़ानेवाले, और अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलनेवाले हैं, और अपने मुँह से घमण्ड की बातें बोलते हैं, और वे लाभ के लिये मुँह देखी बड़ाई किया करते हैं।
तू कहता है कि मैं धनी हूँ और धनवान हो गया हूँ और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं; और यह नहीं जानता कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अंधा और नंगा है।