वे नहीं जानते थे कि यूसुफ उनकी बातें समझ रहा है; क्योंकि उनके मध्य में एक दुभाषिया था।
हाग्गै 2:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैंने तुम्हारे हर काम को, तुम्हारी समस्त फसल को पाला, गेरूआ और ओलों से नष्ट कर दिया, तो भी तुम मेरी ओर नहीं मुड़े। मुझ-प्रभु का यह कथन है। पवित्र बाइबल मैंने, तुम्हें और तुम्हारे हाथों ने जो कुछ किया उसे दण्ड दिया। मैंने तुमको उन बीमारियों से, जो पौधों को मारती है, और फफूंदी एवं ओलो से, दण्डित किया। किन्तु तुम फिर भी मेरे पास नहीं आए।’ यहोवा यह कहता है।” Hindi Holy Bible मैं ने तुम्हारी सारी खेती को लू और गरूई और ओलों से मारा, तौभी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं ने तुम्हारी सारी खेती को लू और गेरूई और ओलों से मारा, तौभी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है। सरल हिन्दी बाइबल मैंने तुम्हारे खेती के सब कामों पर सूखा, पौधों का रोग लाया और ओलावृष्टि की, फिर भी तुम लौटकर मेरे पास नहीं आए,’ याहवेह की यह घोषणा है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “मैंने तुम्हारी सारी खेती को लू और गेरूई और ओलों से मारा, तो भी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है। |
वे नहीं जानते थे कि यूसुफ उनकी बातें समझ रहा है; क्योंकि उनके मध्य में एक दुभाषिया था।
जब उनमें से एक भाई ने सराय में अपने गधे को चारा देने के लिए अपना बोरा खोला, तब उसने बोरे के मुंह में अपने रुपए रखे हुए देखे।
यूसुफ मिस्र देश का प्रधान मन्त्री था। वह देश के सब लोगों का अन्न-विक्रेता था। यूसुफ के भाई आए। उन्होंने भूमि की ओर सिर झुका कर यूसुफ का अभिवादन किया।
‘जब इस देश में अकाल पड़ेगा, महामारी फैलेगी, फसल में गेरुआ कीड़ा लगेगा, पाला पड़ेगा, टिड्डी-दल का आक्रमण होगा अथवा फसल में कीड़े लगेंगे; जब उनके शत्रु उनको किसी नगर में घेर लेंगे, अथवा महामारी या रोग का उन पर हमला होगा,
‘जब इस देश में अकाल पड़ेगा, महामारी फैलेगी, फसल में गेरुआ कीड़ा लगेगा, पाला पड़ेगा, टिड्डी-दल का आक्रमण होगा अथवा फसल में कीड़े लगेंगे; जब उनके शत्रु उनको किसी नगर में घेर लेंगे अथवा विपत्ति या रोग का उन पर हमला होगा,
‘जो हृदय से अधर्मी होते हैं, वे अपने मन में क्रोध को पालते हैं। जब परमेश्वर उनको जंजीर में जकड़ता है, तब वे दुहाई भी नहीं देते।
देख, तुझे दण्ड देने के लिए प्रभु ने एक शक्तिशाली और बलवान राष्ट्र को नियुक्त किया है; वह ओलों की वर्षा जैसा तुझ पर बरसेगा; वह विनाशकारी तूफान के सदृश, प्रचण्ड तूफान के समान, बाढ़ की तेज धार के सदृश तुझ पर टूट पड़ेगा, और तुझे निर्दयतापूर्वक भूमि पर पटकेगा।
उनके निवासी, जिनके हाथों में बल नहीं था, पराजित और निराश थे। वे मैदान के पौधों के सदृश कोमल घास के समान थे। वे मकान की छत की घास के समान थे, जो पल्लवित होने के पूर्व ही सूख जाती है।
अत: उसने इस्राएली राष्ट्र पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा की, युद्ध का आतंक फैलाया। विनाश की आग से इस्राएली राष्ट्र चारों ओर से घिर गया, पर उसने उसको नहीं समझा, कि यह क्यों हुआ। आग ने उसको झुलसा दिया, पर वह नहीं चेता।
प्रभु ने अपने दाहिने हाथ की, अपनी सामर्थी भुजा की शपथ खाई है : ‘निश्चय ही मैं भविष्य में तेरा अन्न तेरे शत्रुओं को फिर न दूंगा; जिस अंगूर-रस के लिए तूने खून पसीना एक किया है, विदेशी आक्रमणकारी उसे पी न सकेंगे।
जिनको प्रभु ने ताड़ित किया था, वे फिर भी प्रभु की ओर नहीं लौटे, उन्होंने स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को नहीं खोजा।
‘किन्तु हमारे बचपन से ही, ये घृणित देवता हमारे पूर्वजों के कठोर परिश्रम का फल, उनके रेवड़ के बैल-गाय, भेड़-बकरियां, उनके पुत्र और पुत्रियां खाते रहे हैं!
‘हे प्रभु, क्या तू सच्चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्तु उन्हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्होंने पश्चात्ताप करने से इन्कार कर दिया।’
‘मैंने तुम्हारे नगरों में अकाल का प्रकोप भेजा; तुम्हारे सब स्थानों में भोजन का अभाव किया, फिर भी तुम मेरी ओर नहीं लौटे।’ प्रभु ने यह कहा है।
मैंने मैदान और पहाड़ों पर अकाल को प्रेषित किया है। मैंने अन्न, अंगूर के रस और तेल का, तथा भूमि पर उपजनेवाली सब प्रकार की वनस्पति का अकाल किया है। मैंने मनुष्य और पशु पर, उनके कामों और परिश्रम पर सूखा डाला है।’
तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्हारी ठण्ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’
तुमने फसल अधिक पाने की आशा की थी, पर वह तुम्हें मिली थोड़ी। जब तुम फसल घर में लाए तब मैंने उसे फूंक दिया। क्यों? सुनो, मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तुमसे यह कह रहा हूं: मैंने अपने भवन के कारण यह किया है। मेरा भवन ध्वस्त पड़ा है, और तुम सब अपना-अपना घर बनाने में व्यस्त हो।
उन दिनों में जब कोई व्यक्ति अन्न के ढेर के पास दो सौ किलो की आशा से जाता था, तब उसे एक सौ प्राप्त होता था। जब वह अंगूर-रस के कुण्ड के पास जाता और सोचता था कि वह एक सौ लिटर रस निकालेगा तब उसे चालीस ही मिलता था।
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘मैं विनाशक-जीव को डांटूंगा, ताकि वह तुम्हारी भूमि की फसल को नष्ट न करे। मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: तुम्हारे अंगूर-उद्यान में अंगूर की भरपूर फसल होगी।
प्रभु तुझको क्षय, ज्वर, जलन, ताप, अकाल, फफूंदी और पूर्वी वायु के झोंकों से मारेगा। जब तक तू मिट नहीं जाएगा तब तक ये तेरा पीछा करते रहेंगे।
मैंने उसे पश्चात्ताप करने का समय दिया, किन्तु वह अपने व्यभिचार के लिए पश्चात्ताप करना नहीं चाहती।