जब इसहाक वृद्ध हो गए, और उनकी आंखें इतनी धुंधली पड़ गयीं कि वह देख नहीं सकते थे, तब उन्होंने ज्येष्ठ पुत्र एसाव को बुलाया और उससे कहा, ‘मेरे पुत्र एसाव!’ एसाव ने उन्हें उत्तर दिया, ‘क्या बात है, पिताजी?’
व्यवस्थाविवरण 34:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब मूसा की मृत्यु हुई तब उनकी आयु एक सौ बीस वर्ष थी। परन्तु न उनकी आंखें धुंधली पड़ी थीं और न उनके शरीर की स्फूर्ति कम हुई थी। पवित्र बाइबल मूसा जब मरा वह एक सौ बीस वर्ष का था। उसकी आँखें कमजोर नहीं थीं। वह तब भी बलवान था। Hindi Holy Bible मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आंखें धुंधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आँखें धुंधली पड़ीं, और न उसका पौरुष घटा था। सरल हिन्दी बाइबल हालांकि मोशेह की उम्र मृत्यु के समय एक सौ बीस साल की थी, न तो उनकी आंखें धुंधली हुई थीं और न ही उनके बल में कोई कमी आई थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आँखें धुँधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था। |
जब इसहाक वृद्ध हो गए, और उनकी आंखें इतनी धुंधली पड़ गयीं कि वह देख नहीं सकते थे, तब उन्होंने ज्येष्ठ पुत्र एसाव को बुलाया और उससे कहा, ‘मेरे पुत्र एसाव!’ एसाव ने उन्हें उत्तर दिया, ‘क्या बात है, पिताजी?’
इस्राएल की आँखें वृद्धावस्था के कारण धुंधली हो गई थीं। अत: वह नहीं देख सकते थे। यूसुफ अपने पुत्रों को उनके निकट लाया। इस्राएल ने उनका चुम्बन लिया और उन्हें गले लगाया।
तुम्हें पूर्ण आयु की सुखद मृत्यु प्राप्त होगी; जैसे अनाज पकने पर, अनाज का पूला खलियान में लाया जाता है, वैसे ही तुम आयु पकने पर दफनाए जाओगे।
जिससे वे यह घोषित कर सकें कि प्रभु सच्चा है; वह हमारी चट्टान है; उसमें लेशमात्र भी अधार्मिकता नहीं है।
जब उन्होंने फरओ से बातचीत की तब मूसा की आयु अस्सी वर्ष और हारून की आयु तिरासी वर्ष की थी।
“चालीस वर्ष पश्चात् सीनय पर्वत के निर्जन प्रदेश में मूसा को जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में एक स्वर्गदूत दिखाई दिया।
वही मूसा उन्हें बाहर निकाल लाये और मिस्र देश में, लाल समुद्र के तट पर तथा निर्जन प्रदेश में चालीस वर्ष तक आश्चर्य कर्म और चिह्न दिखाते रहे।
मूसा ने उनसे कहा, ‘आज मैं एक सौ बीस वर्ष का हूँ। अब मैं आने-जाने में असमर्थ हूँ। प्रभु ने मुझसे कहा है, “मूसा, तू इस यर्दन नदी को पार नहीं कर सकेगा।”
इस्राएली समाज ने मोआब के मैदान में मूसा के लिए तीस दिन तक शोक मनाया। उसके बाद उसके मृत्यु-शोक और विलाप के दिन समाप्त हुए।