व्यवस्थाविवरण 15:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जो देश तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे दे रहा है, यदि तेरे उस देश के किसी नगर में तेरे भाई-बन्धुओं में कोई गरीब है, तो तू अपने गरीब भाई-बहिन के प्रति अपना हृदय कठोर मत करना, और न अपनी मुट्ठी बन्द रखना; पवित्र बाइबल “जब तुम उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हारे लोगों में कोई भी गरीब हो सकता है। तुम्हें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। तुम्हें उस गरीब व्यक्ति को सहायता देने से इन्कार नहीं करना चाहिए। Hindi Holy Bible जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास द्ररिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास दरिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; सरल हिन्दी बाइबल यदि तुम्हारे बीच तुम्हारा ही कोई इस्राएली भाई गरीब है, जो उस देश में किसी नगर का निवासी है, जो देश याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं, तो तुम उसके प्रति अपना हृदय कठोर नहीं कर लोगे और न ही अपनी मुट्ठी बंद नहीं रखोगे; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास दरिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; (यूह. 3:17) |
इसलिए गांवों में रहने वाले यहूदी, जो बिना शहरपनाह के कस्बों में रहते हैं, अदार महीने के चौदहवें दिन को आनन्द, भोज, और छुट्टी का दिन मानते हैं। वे इस दिन अपने सर्वोत्तम भोजन का कुछ अंश एक-दूसरे को भेजते हैं।
क्योंकि इन दिवसों पर यहूदियों ने अपने शत्रुओं से छुटकारा पाकर चैन की सांस ली थी। इस महीने में उनका दु:ख, सुख में; और उनका शोक, हर्ष में बदल गया था। अत: यहूदियों को चाहिए कि वे इन दिनों को सामूहिक भोज और आनन्द-उत्सव के दिन मानें। वे इन दिनों में अपने सर्वोत्तम भोजन का कुछ अंश एक-दूसरे को भेजें तथा गरीबों को दान दें।
‘यदि तू मेरे लोगों में से किसी निर्धन व्यक्ति को जो तेरे साथ रहता है रुपया उधार देगा, तो उसके लिए सूद-खोर जैसा नहीं बनना। तू उस पर ब्याज नहीं लगाना।
जो गरीब को दान करता है वह मानो प्रभु को उधार देता है; प्रभु उसको इस कार्य का प्रतिफल देगा।
जो मनुष्य गरीब की दुहाई सुनकर कान बन्द कर लेता है, वह जब स्वयं सहायता के लिए पुकारेगा तब उसकी दुहाई भी नहीं सुनी जाएगी।
यदि भूखे व्यक्ति के लिए अपना भण्डार-गृह खोल दे, पीड़ित मनुष्य के प्राण को सन्तुष्ट करे, तो तेरे आनन्द का प्रकाश अंधकार में चमकेगा, और तेरे दु:ख का अंधकार दोपहर के सुखद प्रकाश में परिणत हो जाएगा।
‘यदि तुम्हारा जाति-भाई अथवा बहिन दरिद्र हो जाए, और वह अपना हाथ तुम्हारे सम्मुख फैलाए तो तुम उसको संभालना। वह प्रवासी अथवा अस्थायी प्रवासी के समान तुम्हारे साथ निवास करेगा।
परन्तु उसने नहीं माना और जा कर उसे तब तक के लिए बन्दीगृह में डलवा दिया, जब तक वह अपना कर्ज न चुका दे।
निस्सन्देह तेरे देश में गरीब कभी समाप्त नहीं होंगे। इसलिए मैं तुझे आज्ञा देता हूँ : तू अपने देश में अपने भाई-बहिन, दु:खी और दरिद्र को मुक्त हस्त से उधार देना।
तू सावधान रहना। ऐसा न हो कि यह अधम विचार तेरे हृदय में आए, “सातवां वर्ष, ऋण-मुक्ति का वर्ष निकट है” , और तू अपने गरीब भाई-बहिन को अनुदार दृष्टि से देखने लगे, और उसे कुछ न दे। वह तेरे विरुद्ध प्रभु की दुहाई दे सकता है, और यह तेरे लिए एक पाप-कर्म होगा।
‘तू निर्धन और गरीब मजदूर पर अत्याचार मत करना, चाहे वह तेरा जातीय भाई-बन्धु हो या तेरे देश के नगरों में निवास करने वाले प्रवासियों में से कोई हो।