व्यवस्थाविवरण 10:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं लौटा और पहाड़ से नीचे उतर गया। मैंने उन पट्टियों को उस मंजूषा में, जिसे मैंने बनाया था, रख दिया। वे तब से वहीं हैं, जैसी प्रभु ने मुझे आज्ञा दी थी। पवित्र बाइबल मैं मुड़ा और पर्वत के नीचे आया। मैंने अपने बनाएँ सन्दूक में शिलाओं को रखा। यहोवा ने मुझे उसमें रखने को कहा और शिलाएँ अब भी उसी सन्दूक में हैं।” Hindi Holy Bible तब मैं पर्वत से नीचे उतर आया, और पटियाओं को अपने बनवाए हुए सन्दूक में धर दिया; और यहोवा की आज्ञा के अनुसार वे वहीं रखीं हुई हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब मैं पर्वत से नीचे उतर आया, और पटियाओं को अपने बनवाए हुए सन्दूक में धर दिया; और यहोवा की आज्ञा के अनुसार वे वहीं रखी हुई हैं। ( सरल हिन्दी बाइबल फिर मैं पर्वत से लौट आया और दोनों पट्टियों को उस संदूक में रख दिया, जिसे मैंने बनाया था. याहवेह के आदेश के अनुसार वे वही हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब मैं पर्वत से नीचे उतर आया, और पटियाओं को अपने बनवाए हुए सन्दूक में धर दिया; और यहोवा की आज्ञा के अनुसार वे वहीं रखीं हुई हैं। |
तू दया-आसन को मंजूषा के ऊपर स्थापित करना। जो साक्षी-पत्र मैं तुझे दूँगा, उसे मंजूषा में रखना।
मूसा लौटे। वे अपने हाथ में दोनों साक्षी-पट्टियाँ लिये हुए पहाड़ से उतर गए। पट्टियों पर दोनों ओर लिखा हुआ था। वे सामने की ओर तथा पीछे की ओर लिखी हुई थीं।
मूसा वहाँ प्रभु के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहे। न तो उन्होंने रोटी खाई और न पानी पिया। उन्होंने विधान की बातें, अर्थात् दस आज्ञाएँ पट्टियों पर लिख लीं।
जब मूसा सीनय पर्वत से उतरे, उनके हाथ में साक्षी की दो पट्टियाँ थीं। जब मूसा सीनय पर्वत से उतरे, उन्हें ज्ञात नहीं था कि परमेश्वर के साथ वार्तालाप करने के कारण उनका मुख प्रकाशवान हो गया है।
मूसा ने साक्षी-पट्टियाँ लेकर मंजूषा में रख दीं। उन्होंने मंजूषा में डण्डे डाले और मंजूषा के ऊपर दया-आसन रखा।
मैं उन पर वे ही शब्द लिखूंगा जो प्रथम पट्टियों पर लिखे थे और जिनको तूने टुकड़े-टुकड़े कर दिया है। तू उनको मंजूषा में रख देना।”
अत: मैं लौट पड़ा और पहाड़ से नीचे उतर आया। पहाड़ आग में दहक रहा था। विधान की दोनों पट्टियाँ मेरे हाथों में थीं।
यहोशुअ ने यर्दन नदी के मध्य उस स्थान पर, जहां विधान की मंजूषा वहन करनेवाले पुरोहितों ने पैर रखे थे, बारह पत्थर प्रतिष्ठित किए (वे आज भी वहां हैं)।