एलीशा ने इस्राएल प्रदेश के राजा से कहा, ‘मेरा आपसे क्या काम? आप अपने पिता के नबियों के पास, अपनी मां के नबियों के पास जाइए।’ इस्राएल प्रदेश के राजा ने कहा, ‘नहीं, ऐसा मत कहो। प्रभु ने ही हम-तीन राजाओं को मोआब देश के राजा के हाथ में सौंपने के लिए यहां बुलाया है।’
उस समय एलीशा अपने घर के भीतर बैठे थे। धर्मवृद्ध भी उनके साथ बैठे थे। इस्राएल प्रदेश के राजा ने अपने दरबार से एक दूत भेजा। परन्तु उसके आगमन के पूर्व एलीशा ने धर्मवृद्धों को बताया, ‘क्या तुम जानते हो, इस हत्यारे राजा ने मेरा सिर धड़ से अलग करने के लिए एक दूत को भेजा है? देखो, जब दूत आएगा, तब तुम द्वार बन्द कर देना, और द्वार को बलपूर्वक बन्द रखना। सुनो, निश्चय ही उसके पीछे यह उसके स्वामी के पैरों की आवाज है।’
अभी एलीशा धर्मवृद्धों से बात कर ही रहे थे कि इस्राएल प्रदेश का राजा उनके पास पहुंच गया। राजा ने कहा, ‘प्रभु ने इस विपत्ति को भेजा है। अब मैं प्रभु से क्या आशा करूं?’
‘हमारे दुष्कर्मों, हमारे बड़े-बड़े अधर्म के कामों के कारण हम पर विपत्तियां आईं, पर तूने हमारे अपराधों की तुलना में हमें कम ही दण्ड दिया, और हमारी कौम के कुछ लोगों को नष्ट होने से बचा लिया।
और वह तुम पर बुद्धि का गूढ़ रहस्य प्रकट करता। बुद्धि की बातें मनुष्य की समझ से परे हैं। अत: मित्र, यह जान लो कि परमेश्वर तुम्हारे अपराध की तुलना में तुम्हें कम सजा दे रहा है!
तेरे पुत्र मूर्छित पड़े हैं, वे जाल में फंसे हिरण के सदृश प्रत्येक गली के छोर पर पड़े हैं। प्रभु के प्रकोप की मार से, तुम्हारे परमेश्वर की डांट से वे आहत हैं।
तू अपनी चोट के लिए क्यों चिल्लाती है? तेरे दर्द का कोई इलाज नहीं है। क्योंकि तूने बड़े-बड़े दुष्कर्म किए हैं, तेरे पाप गंभीर हैं। इसीलिए मैंने तेरे साथ यह व्यवहार किया है।
जिसके कारण मैं उनके विरुद्ध चला था और उन्हें शत्रुओं के देश में ले आया था; यदि वे अपने कठोर हृदय को विनम्र करेंगे, अपने अधर्म के दण्ड को स्वीकार करेंगे
किन्तु पहले भूमि उनके द्वारा निर्जन छोड़ी जाएगी। जब तक भूमि उनके न रहने से निर्जन रहेगी, वह विश्राम वर्षों का आनन्दपूर्वक पालन करेगी। वे अपने अधर्म के दण्ड को स्वीकार करेंगे; क्योंकि उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धान्तों की अवहेलना की है, उनके प्राणों ने मेरी संविधियों से घृणा की है।
मैंने प्रभु के प्रति पाप किया है; जब तक प्रभु मेरा पक्ष नहीं लेगा, और मेरे पक्ष में निर्णय नहीं देगा, तब तक मुझे प्रभु का कोप सहना ही होगा। वह मुझे प्रकाश तक पहुंचाएगा; और मैं उसके उद्धार के दर्शन करूंगी।
उन्होंने प्रभु से कहा, ‘तूने क्यों अपने सेवक के साथ बुरा व्यवहार किया? मैंने क्यों तेरी कृपा-दृष्टि प्राप्त नहीं की? तूने क्यों इन सब लोगों का भार मुझ पर डाला?
मनुष्य प्रचण्ड ताप से जल गये। उन्होंने उन विपत्तियों पर अधिकार रखने वाले परमेश्वर के नाम की निन्दा की, लेकिन उन्होंने पश्चात्ताप नहीं किया और परमेश्वर की स्तुति करना नहीं चाहा।