येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्यों को दीं और शिष्यों ने लोगों को।
लूका 24:30 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब येशु उनके साथ भोजन करने बैठे, तब उन्होंने रोटी ली, आशिष माँगी और वह रोटी तोड़ कर उन्हें देने लगे। पवित्र बाइबल जब उनके साथ वह खाने की मेज पर था तभी उसने रोटी उठाई और धन्यवाद किया। फिर उसे तोड़ कर जब वह उन्हें दे रहा था Hindi Holy Bible जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उनको देने लगा। नवीन हिंदी बाइबल फिर ऐसा हुआ कि जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर आशिष माँगी और तोड़कर उन्हें देने लगा। सरल हिन्दी बाइबल जब वे सब भोजन के लिए बैठे, प्रभु येशु ने रोटी लेकर आशीर्वाद के साथ उसे तोड़ा और उन्हें दे दिया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा। |
येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्यों को दीं और शिष्यों ने लोगों को।
येशु ने वे सात रोटियाँ और मछलियाँ लीं; परमेश्वर को धन्यवाद दिया, उनको तोड़ा और अपने शिष्यों को दिया और फिर शिष्यों ने लोगों को दिया।
शिष्यों के साथ भोजन करते समय येशु ने रोटी ली, आशिष माँग कर तोड़ी और शिष्यों को दी, और कहा, “लो, खाओ। यह मेरी देह है।”
शिष्यों के साथ भोजन करते समय येशु ने रोटी ली, और आशिष माँग कर तोड़ी, शिष्यों को दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।”
येशु ने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आकाश की ओर आँखें उठा कर आशिष माँगी। उन्होंने रोटियाँ तोड़ीं और शिष्यों को दीं, ताकि वे लोगों को परोसते जाएँ। उन्होंने उन दो मछलियों को भी सब में बाँट दिया।
येशु ने लोगों को भूमि पर बैठ जाने का आदेश दिया। येशु ने वे सात रोटियाँ लीं, परमेश्वर को धन्यवाद दिया, उनको तोड़ा और फिर अपने शिष्यों को दिया कि वे उनको परोसें। शिष्यों ने उनको जनसमूह के सम्मुख परोस दिया।
येशु ने रोटी ली और धन्यवाद की प्रार्थना करने के बाद उसे तोड़ा और यह कहते हुए शिष्यों को दिया, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिए दी जा रही है। यह मेरी स्मृति में किया करो”।
किन्तु शिष्यों ने यह कह कर उन से आग्रह किया, “हमारे साथ रह जाइए। संध्या हो रही है और अब दिन ढल चुका है।” वह उनके साथ ठहरने के लिए भीतर गये।
तब दोनों शिष्यों ने भी बताया कि मार्ग में क्या-क्या हुआ और उन्होंने येशु को रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना।
तब येशु ने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आकाश की ओर आँखें उठा कर उन पर आशिष माँगी। फिर उन्हें तोड़ा और अपने शिष्यों को दिया ताकि वे उन्हें लोगों को परोसें।
येशु ने रोटियाँ ले लीं और परमेश्वर को धन्यवाद देकर बैठे हुए लोगों में उन्हें वितरित किया। इसी प्रकार मछलियाँ भी, जितनी वे चाहते थे, वितरित कीं।
वे प्रतिदिन मन्दिर में एक भाव से उपस्थित होते, घर-घर में रोटी तोड़ते और निष्कपट हृदय से आनन्दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे।
पौलुस ने यह कह कर रोटी ली, सब के सामने परमेश्वर को धन्यवाद दिया और वह उसे तोड़ कर खाने लगे।