लूका 18:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) फरीसी खड़े-खड़े इस प्रकार प्रार्थना कर रहा था, ‘परमेश्वर! मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ कि मैं दूसरे लोगों की तरह लोभी, अन्यायी, व्यभिचारी नहीं हूँ और न इस चुंगी-अधिकारी की तरह हूँ। पवित्र बाइबल वह फ़रीसी अलग खड़ा होकर यह प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरे लोगों जैसा डाकू, ठग और व्यभिचारी नहीं हूँ और न ही इस कर वसूलने वाले जैसा हूँ। Hindi Holy Bible फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरे मनुष्यों के समान अन्धेर करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेनेवाले के समान हूँ। नवीन हिंदी बाइबल वह फरीसी खड़ा होकर अपने मन में इस प्रकार प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं अन्य मनुष्यों के समान लुटेरा, अधर्मी और व्यभिचारी नहीं हूँ, और न ही इस कर वसूलनेवाले के समान हूँ। सरल हिन्दी बाइबल फ़रीसी की प्रार्थना इस प्रकार थी: ‘परमेश्वर! मैं आपका आभारी हूं कि मैं अन्य मनुष्यों जैसा नहीं हूं—छली, अन्यायी, व्यभिचारी और न इस चुंगी लेनेवाले के जैसा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यह प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि मैं और मनुष्यों के समान दुष्टता करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेनेवाले के समान हूँ। |
संसार में कुछ मनुष्य हैं जो स्वयं को अपनी दृष्टि में शुद्ध मानते हैं; किन्तु वे गन्दे हैं। उनकी गन्दगी धुली नहीं है।
जब तुम प्रार्थना करते समय मेरी ओर हाथ फैलाओगे तब मैं तुम्हारी ओर से अपनी आंखें फेर लूंगा। चाहे तुम एक के बाद एक, कितनी ही प्रार्थनाएँ क्यों न करो, मैं उन्हें नहीं सुनूंगा; क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से सने हैं।
वे प्रतिदिन मुझे ढूंढ़ते हैं; वे मेरे मार्ग जानने की इच्छा प्रकट करते हैं; मानो वे धर्म-कर्म करनेवाला राष्ट्र हैं, जिसने अपने ईश्वर के न्याय-सिद्धान्तों का परित्याग नहीं किया है। वे मुझ से धर्म के नियम पूछते हैं। वे मुझ-परमेश्वर के समीप आते, और प्रसन्न होते हैं।
ये दूसरों से कहते हैं, “मुझ से दूर रह, मुझे स्पर्श मत कर; क्योंकि मैं तुझसे अधिक पवित्र हूं।” ऐसे लोग मेरी नाक में धुएँ की तरह घुटन पैदा करते हैं, ये निरंतर जलनेवाली आग हैं।
ओ इस्राएल, तेरे देवता कहां गए, जिनकी मूर्तियां तूने अपने हाथ से गढ़ी थीं? वे तेरे इस संकट-काल में उठें, और तुझ को बचाएं! ओ यहूदा प्रदेश, जितने तेरे नगर हैं, उतने ही तेरे देवता हैं!
तू कहती है, “मैं निर्दोष हूं; निश्चय ही प्रभु का क्रोध मुझ पर से हट जाएगा।” पर नहीं, क्योंकि तूने कहा कि तूने पाप नहीं किया, इसलिए मैं तुझे न्याय के कटघरे में खड़ा करूँगा।
वे झुण्ड के झुण्ड तेरे पास आते हैं। वे मेरे निज लोगों के समान तेरे सामने बैठते हैं। वे तेरी बातें सुनते हैं, पर मेरे सन्देश के अनुसार आचरण नहीं करते। “वाह! कितने सुन्दर वचन हैं!” , वे मुंह से यह कहते हैं, किन्तु उनका हृदय स्वार्थ में डूबा हुआ है।
तुम्हारे अगुए घूस लेकर न्याय करते, पुरोहित पैसे लेकर धर्म की बातें सिखाते, और नबी धन के लिए शकुन विचारते हैं; फिर भी वे प्रभु का सहारा लेते, और यह कहते हैं, ‘निस्सन्देह प्रभु हमारे मध्य है! हम विपत्ति में नहीं पड़ेंगे।’
मैं तुम लोगों से कहता हूँ, यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से गहरी नहीं हुई, तो तुम स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं कर सकोगे।
“जब तुम प्रार्थना करते हो तब ढोंगियों की तरह प्रार्थना नहीं करो। वे सभागृहों में और चौकों पर खड़ा हो कर प्रार्थना करना पसन्द करते हैं, जिससे लोग उन्हें देखें। मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं।
“जब तुम प्रार्थना के लिए खड़े हो और तुम्हें किसी से कोई शिकायत हो, तो उसे क्षमा कर दो, जिससे तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा कर दे।”
वे विधवाओं की सम्पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उनको बड़ा कठोर दण्ड मिलेगा।”
तब वह ढेला फेंकने की दूरी तक उन से अलग हो गये और घुटने टेक कर उन्होंने यह कहते हुए प्रार्थना की,
परन्तु जो व्यवस्था के कर्मकाण्ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्योंकि लिखा है: “जो व्यक्ति व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”
मेरा धर्मोत्साह ऐसा था कि मैंने कलीसिया पर अत्याचार किया। व्यवस्था पर आधारित धार्मिकता की दृष्टि से मैं निर्दोष था।
तुम यह कहते हो, ‘मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया, मुझे किसी बात की कमी नहीं’, और तुम यह नहीं समझते कि तुम अभागे हो, दयनीय हो, दरिद्र, अन्धे और नंगे हो।