जब इस्राएल प्रदेश के राजा ने यह पत्र पढ़ा, तब उसने संकट और घृणा को प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े और यह कहा, ‘क्या मैं ईश्वर हूं, जो प्राण लेता और प्राण देता है! देखो, इस आदमी ने मेरे पास सन्देश भेजा है कि मैं इस मनुष्य को उसके कोढ़ से स्वस्थ करूं! इसकी बात सुनो, ध्यान दो, और देखो कि सीरिया देश का राजा किस प्रकार मुझसे युद्ध करने का बहाना ढूंढ़ रहा है।’
वे येशु को फँसाने की ताक में रहते थे। उन्होंने उनके पास गुप्तचर भेजे, कि वे धर्मी होने का ढोंग रच कर येशु को किसी न किसी कथन में पकड़ लें, जिससे वे उन्हें राज्यपाल के शासन और अधिकार में दे सकें।
आप उन लोगों की बात नहीं मानिए क्योंकि उनमें चालीस से अधिक व्यक्ति पौलुस की घात में बैठे हुए हैं। उन्होंने शपथ ली है कि वे तब तक न तो खायेंगे और न पियेंगे, जब तक वे पौलुस का वध न कर दें। वे अभी तैयार हैं, और आपके निर्णय की प्रतीक्षा में हैं।”