राजा ने कहा, ‘सरूयाह के पुत्रो, यह मेरा और तुम्हारा काम नहीं है। उसे गाली देने दो। यदि प्रभु ने उससे यों कहा, “दाऊद को अपशब्द कह!” तो किसको यह पूछने का अधिकार है, “तूने ऐसा क्यों कहा?” ’
रोमियों 9:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अरे भई! तुम कौन हो, जो परमेश्वर से विवाद करते हो? क्या गढ़ी हुई प्रतिमा अपने गढ़ने वाले से कहती है, “तुमने मुझे ऐसा क्यों बनाया?” पवित्र बाइबल मनुष्य तू कौन होता है जो परमेश्वर को उलट कर उत्तर दे? क्या कोई रचना अपने रचने वाले से पूछ सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया?” Hindi Holy Bible हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्वर का साम्हना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़ने वाले से कह सकती है कि तू ने मुझे ऐसा क्यों बनाया है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हे मनुष्य, भला तू कौन है जो परमेश्वर का सामना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है, “तू ने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?” नवीन हिंदी बाइबल हे मनुष्य, परमेश्वर को पलटकर उत्तर देनेवाला भला तू कौन होता है? क्या रचना अपने रचनाकार से यह कहेगी, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?” सरल हिन्दी बाइबल तुम कौन होते हो कि परमेश्वर से वाद-विवाद का दुस्साहस करो? क्या कभी कोई वस्तु अपने रचनेवाले से यह प्रश्न कर सकती है, “मुझे ऐसा क्यों बनाया है आपने?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्वर का सामना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?” |
राजा ने कहा, ‘सरूयाह के पुत्रो, यह मेरा और तुम्हारा काम नहीं है। उसे गाली देने दो। यदि प्रभु ने उससे यों कहा, “दाऊद को अपशब्द कह!” तो किसको यह पूछने का अधिकार है, “तूने ऐसा क्यों कहा?” ’
क्या थोथी बातों का कभी अन्त होता है? मेरी कौन-सी बात तुम्हें भड़काती है कि तुम मुझे उत्तर दो?
किसने उसकी आचरण-संहिता निश्चित् की है? कौन उससे कह सकता है कि तूने अनुचित कार्य किया है?
‘जो व्यक्ति दूसरों के दोष ढूंढ़ता है, क्या वह मुझ-सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सामना कर सकता है? जो मुझसे वाद-विवाद करता है, वह मेरे प्रश्न का उत्तर दे।’
क्या तू मेरे न्याय को व्यर्थ सिद्ध करेगा? तू स्वयं को निर्दोष ठहराकर मुझे दोषी प्रमाणित करेगा?
तू तो मेरे समान मनुष्य नहीं है, अन्यथा मैं तुझसे बहस करता, और हम-दोनों न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाते!
क्या कुल्हाड़ी लकड़हारे से शेखी मार सकती है? क्या आरा आराकश से डींग मार सकता है? इनकी शेखी करना, या डींग मारना तो वैसा है जैसे डंडा अपने उठाने वाले को उठाए; निर्जीव लट्ठ उसको उठाए जो सजीव है!
ओ उलटी समझवालो! क्या कुम्हार की गणना मिट्टी के बराबर की जाएगी? क्या बनाई गई वस्तु अपने बनाने वाले से यह कह सकती है; “तूने मुझे नहीं बनाया” ? क्या रची गई वस्तु अपने रचने वाले से यह कह सकती है, “तुझ में समझ नहीं?”
तो भी, प्रभु, तू हमारा पिता है, हम मिट्टी मात्र हैं, और तू हमारा कुम्हार है। हम-सब तेरे हाथ की रचना हैं।
‘ओ इस्राएल के वंश! जैसा इस कुम्हार ने मिट्टी के साथ किया, क्या मैं तुम्हारे साथ वैसा नहीं कर सकता हूं? मुझ-प्रभु का यह कथन है: सुन, ओ इस्राएल के वंश! जैसे मिट्टी कुम्हार के हाथ में होती है, वैसे ही तू मेरे हाथ में है।
पृथ्वी के समस्त निवासी उसके सम्मुख नगण्य हैं; वह स्वर्ग की सेना में, पृथ्वी के प्राणियों के मध्य, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्या किया?’ ”
ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
जो मेरा है, क्या मैं अपनी इच्छा के अनुसार उस का उपयोग नहीं कर सकता? क्या मेरा उदार होना तुम्हारी आँखों में खटकता है?’
उन्होंने उसे उत्तर दिया, “भाई! किसने मुझे तुम्हारा पंच या बँटवारा करने वाला नियुक्त किया है?”
दूसरे के सेवक पर दोष लगाने वाले तुम कौन हो? उसका दृढ़ बना रहना या पतित हो जाना उसके अपने स्वामी से सम्बन्ध रखता है और वह अवश्य दृढ़ बना रहेगा; क्योंकि उसका प्रभु उसे दृढ़ बनाये रखने में समर्थ है।
इसलिए, हे दूसरों पर दोष लगाने वाले! तुम चाहे जो भी हो, अक्षम्य हो। तुम दूसरों पर दोष लगाने के कारण अपने को दोषी ठहराते हो; क्योंकि तुम, जो दूसरों पर दोष लगाते हो, ये ही कुकर्म स्वयं करते हो।
हे मनुष्य! तुम ऐसे कुकर्म करने वालों पर दोष लगाते हो और स्वयं ये ही कार्य करते हो, तो क्या तुम समझते हो कि परमेश्वर की दण्डाज्ञा से बच जाओगे?
क्या कुम्हार को यह अधिकार नहीं कि वह मिट्टी के एक ही लोंदे से एक पात्र विशिष्ट प्रयोजन के लिए बनाये और दूसरा पात्र साधारण प्रयोजन के लिए?
यदि परमेश्वर ने अपना क्रोध प्रदर्शित करने तथा अपना सामर्थ्य प्रकट करने के उद्देश्य से बहुत धैर्य से कोप के उन पात्रों को सहन किया, जो विनाश के लिए तैयार थे, तो कौन आपत्ति कर सकता है?
हम में इस संसार के ज्ञानी, शास्त्री और दार्शनिक कहाँ है? क्या परमेश्वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया है?
क्या जाने, हो सकता है कि पत्नी अपने पति की मुक्ति का कारण बन जाये और पति अपनी पत्नी की मुक्ति का कारण।
और निरन्तर झगड़े उत्पन्न होते हैं। यह सब ऐसे लोगों के योग्य है, जिनका मन विकृत और सत्य से वंचित हो गया है और यह समझते हैं कि भक्ति लाभ का एक साधन है।
किसी भी बड़े घर में न केवल सोने और चांदी के, बल्कि लकड़ी और मिट्टी के भी पात्र पाये जाते हैं। कुछ पात्र ऊंचे प्रयोजन के लिए हैं और कुछ साधरण प्रयोजन के लिए।
दासों को समझाओ कि वे सब बातों में अपने स्वामियों के अधीन रहें, उनको संतुष्ट रखें; आपत्ति किये बिना उनकी आज्ञाएँ मानें