तेरे विरुद्ध बनाया गया कोई भी शस्त्र सफल न होगा; जो साक्षी न्यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्तुत होगी, तू उसको निरस्त करने में सफल होगी। यह प्रभु के सेवकों की नियति है, मैं उनको विजय प्रदान करता हूं।’ प्रभु यह कहता है।
रोमियों 8:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जो लोग येशु मसीह से संयुक्त हैं, उनके लिए अब कोई दण्डाज्ञा नहीं रह गयी है; पवित्र बाइबल इस प्रकार अब उनके लिये जो यीशु मसीह में स्थित हैं, कोई दण्ड नहीं है। Hindi Holy Bible सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। [क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।] नवीन हिंदी बाइबल अतः अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दंड की आज्ञा नहीं; [वे शरीर के अनुसार नहीं बल्कि आत्मा के अनुसार चलते हैं।] सरल हिन्दी बाइबल इसलिये अब उनके लिए, जो मसीह येशु में हैं, दंड की कोई आज्ञा नहीं है इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इसलिए अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। |
तेरे विरुद्ध बनाया गया कोई भी शस्त्र सफल न होगा; जो साक्षी न्यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्तुत होगी, तू उसको निरस्त करने में सफल होगी। यह प्रभु के सेवकों की नियति है, मैं उनको विजय प्रदान करता हूं।’ प्रभु यह कहता है।
वह मेरी संविधियों पर चलता है, और मेरे आदेशों का पालन निष्ठापूर्वक करता है। ऐसा व्यक्ति निस्सन्देह धार्मिक है, और वह जीवित रहेगा।’ स्वमी-प्रभु की यही वाणी है।
तुम मुझ में रहो और मैं तुम में रहूँगा। जिस तरह डाली यदि दाखलता में न रहे स्वयं नहीं फल सकती, उसी तरह यदि तुम मुझ में न रहो तो तुम भी नहीं फल सकते।
“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मेरा वचन सुनता और जिसने मुझे भेजा, उस में विश्वास करता है, उसे शाश्वत जीवन प्राप्त है। वह दोषी नहीं ठहराया जाएगा। वह तो मृत्यु को पार कर जीवन में प्रवेश कर चुका है।
मेरे सम्बन्धियों और बन्दीगृह में मेरे साथियों अन्द्रोनिकुस और बहिन युनियास को नमस्कार। ये प्रेरितों में प्रतिष्ठित हैं और मुझ से पहले मसीह के शिष्य बने थे।
यदि हम विश्वास के कारण धार्मिक ठहराए गए हैं, तो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा परमेश्वर में शान्ति प्राप्त होती है।
एक मनुष्य के अपराध तथा परमेश्वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। एक के अपराध के फलस्वरूप दण्डाज्ञा तो दी गयी, किन्तु बहुत-से अपराधों के बाद जो वरदान दिया गया, उसके द्वारा पाप से मुक्ति मिल गयी है।
किन्तु यदि मैं वही करता हूँ, जिसे मैं नहीं चाहता, तो कर्ता मैं नहीं हूँ, बल्कि कर्ता है—मुझ में निवास करने वाला पाप।
जिसने येशु को मृतकों में से जिलाया, यदि उसका आत्मा आप लोगों में निवास करता है, तो जिसने येशु मसीह को मृतकों में से जिलाया, वह अपने आत्मा द्वारा, जो आप में निवास करता है, आपके नश्वर शरीर को भी जीवन प्रदान करेगा।
क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
उन्हें कौन दोषी ठहरायेगा? क्या येशु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्कि जी उठे और परमेश्वर के दाहिने हाथ विराजमान हो कर हमारे लिए निवेदन करते रहते हैं।
न आकाश में या पाताल में कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई वस्तु हमें परमेश्वर के उस प्रेम से अलग कर सकती है, जो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा मिला है।
जिससे हम लोगों में—जो कि शारीरिक स्वभाव के अनुसार नहीं, बल्कि आत्मा के अनुसार आचरण करते हैं—धार्मिकता के संबंध में व्यवस्था की मांग पूर्ण हो जाए।
यदि परमेश्वर का आत्मा सचमुच आप लोगों में निवास करता है, तो आप शारीरिक स्वभाव के वश में नहीं, बल्कि आत्मा से ही प्रभावित हैं। जिस मनुष्य में मसीह का आत्मा निवास नहीं करता, वह मसीह का नहीं।
उसी परमेश्वर के वरदान से आप लोग येशु मसीह के अंग बन गये हैं। परमेश्वर ने मसीह को हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और पापमुक्ति बना दिया है।
मैं मसीह के एक भक्त को जानता हूँ, जो चौदह वर्ष पहले तीसरे स्वर्ग तक ऊपर उठा लिया गया-सदेह अथवा विदेह, यह मैं नहीं जानता, परमेश्वर ही जानता है।
इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और अब नई बातें आ गयी हैं।
मसीह हमारे लिए शापित हुये और इस तरह उन्होंने हम को व्यवस्था के अभिशाप से मुक्त किया; क्योंकि लिखा है: “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है, वह शापित है।”
अब न तो कोई यहूदी है और न यूनानी, न तो कोई दास है और न स्वतन्त्र, न तो कोई पुरुष है और न स्त्री-आप सब येशु मसीह में एक हो गये हैं।
मैं यह कहना चाहता हूँ, आप लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा के अनुसार चलेंगे तो शरीर की वासनाओं को तृप्त नहीं करेंगे।
यदि हमें पवित्र आत्मा द्वारा जीवन प्राप्त हो गया है, तो हम पवित्र आत्मा की प्रेरणा के अनुसार जीवन बितायें।
इफिसुस नगर के सन्तों और येशु मसीह में सच्चे विश्वासियों के नाम पौलुस का पत्र, जो परमेश्वर की इच्छा से येशु मसीह का प्रेरित नियुक्त हुआ है।
और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊं। मुझे अपनी धार्मिकता का नहीं, जो व्यवस्था के पालन से मिलती है, बल्कि उस धार्मिकता का भरोसा है, जो मसीह में विश्वास करने से मिलती है। उस धार्मिकता का उद्गम परमेश्वर है और उसका आधार विश्वास है।