जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है, उसका फल देखकर वह सन्तुष्ट होगा। प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक अपने ज्ञान के द्वारा अनेक लोगों को धार्मिक बनाएगा; वह उनके दुष्कर्मों का फल स्वयं भोगेगा।
रोमियों 5:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) फिर भी आदम के अपराध तथा परमेश्वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। यह सच है, कि एक ही मनुष्य के अपराध के कारण सब लोग मरे; किन्तु इस परिणाम से कहीं अधिक महान है परमेश्वर का अनुग्रह और वह अनुग्रहपूर्ण वरदान, जो एक ही मनुष्य−येशु मसीह−द्वारा सब को मिला। पवित्र बाइबल किन्तु परमेश्वर का वरदान आदम के अपराध के जैसा नहीं था क्योंकि यदि उस एक व्यक्ति के अपराध के कारण सभी लोगों की मृत्यु हुई तो उस एक व्यक्ति यीशु मसीह की करुणा के कारण मिले परमेश्वर के अनुग्रह और वरदान तो सभी लोगों की भलाई के लिए कितना कुछ और अधिक है। Hindi Holy Bible पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर जैसी अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात् यीशु मसीह के, अनुग्रह से हुआ बहुत से लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। नवीन हिंदी बाइबल परंतु वरदान अपराध के समान नहीं होता; क्योंकि यदि एक मनुष्य के अपराध के कारण बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और वह दान जो एक मनुष्य अर्थात् यीशु मसीह के अनुग्रह में है, निश्चय ही बहुत लोगों को बहुतायत से मिला। सरल हिन्दी बाइबल अपराध, वरदान के समान नहीं. एक मनुष्य के अपराध के कारण अनेकों की मृत्यु हुई, जबकि परमेश्वर के अनुग्रह तथा एक मनुष्य, मसीह येशु के अनुग्रह में दिया हुआ वरदान अनेकों अनेक में स्थापित हो गया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर जैसी अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात् यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुत से लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। |
जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है, उसका फल देखकर वह सन्तुष्ट होगा। प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक अपने ज्ञान के द्वारा अनेक लोगों को धार्मिक बनाएगा; वह उनके दुष्कर्मों का फल स्वयं भोगेगा।
जो भूमि के नीचे कबर में सोए हुए हैं, उनमें से अनेक जाग उठेंगे : कुछ को शाश्वत जीवन प्राप्त होगा, कुछ को अपमान और स्थायी घृणा का पात्र बनना होगा।
जैसे मानव-पुत्र अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने तथा बहुतों के बदले उनकी मुक्ति के मूल्य में अपने प्राण देने आया है।”
“परमेश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करता है, वह नष्ट न हो, बल्कि शाश्वत जीवन प्राप्त करे।
येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर का वरदान पहचानती और यह जानती कि वह कौन है, जो तुम से कह रहा है, ‘मुझे पानी पिलाओ’, तो तुम उससे माँगती और वह तुम्हें संजीवन जल देता।”
हमारा विश्वास तो यह है कि हम, और वे भी, प्रभु येशु की कृपा द्वारा ही मुक्ति प्राप्त करेंगे।”
यह बात विचारणीय है कि एक ही मनुष्य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्यु का। इस प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गयी, क्योंकि सब पापी हैं।
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
क्योंकि मसीह का प्रेम हमें प्रेरित करता रहता है। हम तो यह समझ गये हैं कि जब एक सब के लिए मर गया, तब सभी मर गये हैं।
परमेश्वर की कृपा ने विश्वास द्वारा आप लोगों का उद्धार किया है। यह आपके किसी पुण्य का फल नहीं है। यह तो परमेश्वर का वरदान है।
परन्तु हम यह देखते हैं कि येशु कुछ काल के लिए स्वर्गदूतों से छोटे बनाए गए थे, किन्तु मृत्यु की यन्त्रणा सहने के कारण येशु को महिमा और सम्मान का मुकुट पहनाया गया है। इस प्रकार वह परमेश्वर की कृपा से प्रत्येक मनुष्य के लिए मृत्यु का स्वाद चख सके।
उन्होंने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया है और न केवल हमारे पापों के लिए, बल्कि समस्त संसार के पापों के लिए भी।
और वह साक्षी यह है-परमेश्वर ने हमें शाश्वत जीवन प्रदान किया है और यह जीवन उसके पुत्र में है।