तूने मेरे शत्रुओं को विवश किया कि वे पीठ दिखाकर भागें; मैंने उन्हें नष्ट कर दिया, जो मुझसे बैर करते थे।
रोमियों 16:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जिन्होंने मेरे प्राण बचाने के लिए अपना सिर दाँव पर रख दिया। मैं ही नहीं, बल्कि गैर-यहूदियों की सब कलीसियाएँ उनका आभार मानती हैं। पवित्र बाइबल उन्होंने मेरे प्राण बचाने के लिये अपने जीवन को भी दाव पर लगा दिया था। न केवल मैं उनका धन्यवाद करता हूँ बल्कि ग़ैर यहूदियों की सभी कलीसिया भी उनके धन्यवादी हैं। Hindi Holy Bible उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही जीवन जोखिम में डाल दिया था; और केवल मैं ही नहीं, वरन् अन्यजातियों की सारी कलीसियाएँ भी उनका धन्यवाद करती हैं। नवीन हिंदी बाइबल जिन्होंने मेरे प्राण के लिए अपना जीवन भी जोखिम में डाल दिया था और उनका धन्यवाद केवल मैं ही नहीं बल्कि गैरयहूदियों की सब कलीसियाएँ भी करती हैं। सरल हिन्दी बाइबल उन्होंने मेरे हित में अपने प्राण जोख़िम में डाले थे. न केवल मैं परंतु गैर-यहूदियों की सभी कलीसियाएं उनकी ऋणी हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन् अन्यजातियों की सारी कलीसियाएँ भी उनका धन्यवाद करती हैं। |
तूने मेरे शत्रुओं को विवश किया कि वे पीठ दिखाकर भागें; मैंने उन्हें नष्ट कर दिया, जो मुझसे बैर करते थे।
अत: प्रभु यों कहता है: ‘मैं शोषण करनेवाले इस वर्ग के विरुद्ध विनाश की योजना बना रहा हूं। तुम इस योजना से अपना गला नहीं छुड़ा सकोगे। वह बुरा समय होगा, तुम अहंकार से सिर उठाकर चल नहीं सकोगे।
जिन्होंने हमारे प्रभु येशु मसीह के नाम पर अपना जीवन अर्पित किया है, आप लोगों के पास भेजें।
उन्होंने सीरिया देश तथा किलिकिया का भ्रमण किया और कलीसियाओं को विश्वास में दृढ़ किया।
इस प्रकार स्थानीय कलीसियाएँ विश्वास में सुदृढ़ होतीं और संख्या में प्रतिदिन बढ़ती गईं।
अब समस्त यहूदा, गलील तथा सामरी प्रदेशों में कलीसिया को शान्ति मिली और उसका निर्माण होता रहा। वह प्रभु के भय में आचरण करती हुई और पवित्र आत्मा की सान्त्वना प्राप्त कर वृद्धि करती गई।
उनके घर में एकत्र होने वाली कलीसिया को नमस्कार। मसीह के निमित्त आसिया के “प्रथम फल”, मेरे प्रिय इपैनितुस को नमस्कार
धार्मिक मनुष्य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये,
सन्तों के लिए जो दान एकत्र किया जा रहा है, उसके विषय में आप लोग उस निर्देश का पालन करें, जिसे मैंने गलातिया की कलीसियाओं के लिए निर्धारित किया है।
सामान्य नियम यह है कि हर एक व्यक्ति जिस स्थिति में परमेश्वर द्वारा बुलाया गया है, उसी में बना रहे और उसे प्रभु से जो वरदान मिला है, उसी के अनुरूप जीवन बिताये। मैं सभी कलीसियाओं के लिए यही नियम निर्धारित करता हूँ।
उसने मसीह के कार्य के लिए मृत्यु का सामना किया और अपने जीवन को जोखिम में डाला जिससे वह मेरे प्रति जन-सेवा का वह कार्य पूरा करे, जिसे आप लोग स्वयं करने में असमर्थ थे।
भाइयो और बहिनो! आप लोगों ने यहूदा प्रदेश में स्थित परमेश्वर की कलीसियाओं का अनुकरण किया है, जो येशु मसीह में हैं, क्योंकि आप को अपने सजातीय लोगों से वही दुर्व्यवहार सहना पड़ा, जो उन्होंने यहूदा-वासियों से सहा है।
जब वे इन राजाओं को यहोशुअ के पास लाए, तब उसने इस्राएली समाज के सब सैनिकों को बुलाया। उसने सेना-नायकों से, जो उसके साथ युद्ध करने गए थे, यह कहा, ‘पास आओ, और इन राजाओं की गर्दन पर अपने पैर रखो!’ सेना-नायक पास आए, और उन्होंने राजाओं की गर्दन पर अपने पैर रखे।
हम प्रेम का मर्म इसी से पहचान गये कि येशु ने हमारे लिए अपना प्राण अर्पित किया तो हमें भी अपने भाई-बहिनों के लिए अपना प्राण अर्पित करना चाहिए।
आसिया की सात कलीसियाओं को योहन का सन्देश। जो है, जो था और जो आनेवाला है, उसकी ओर से, उसके सिंहासन के सामने उपस्थित रहनेवाली सात आत्माओं