उन्होंने उत्तर दिया, “यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं;
यूहन्ना 6:65 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने तुम लोगों से कहा था कि जब तक पिता से यह वरदान न मिले, कोई मेरे पास नहीं आ सकता।” पवित्र बाइबल यीशु ने आगे कहा, “इसीलिये मैंने तुमसे कहा है कि मेरे पास तब तक कोई नहीं आ सकता जब तक परम पिता उसे मेरे पास आने की अनुमति नहीं दे देता।” Hindi Holy Bible और उस ने कहा, इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर यह वरदान न दिया जाए तक तक वह मेरे पास नहीं आ सकता। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और उसने कहा, “इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।” नवीन हिंदी बाइबल फिर उसने कहा,“इसी कारण मैंने तुमसे कहा है कि कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक उसे पिता की ओर से न दिया गया हो।” सरल हिन्दी बाइबल तब मसीह येशु ने आगे कहा, “इसलिये मैंने तुमसे यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक पिता उसे मेरे पास न आने दें.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उसने कहा, “इसलिए मैंने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।” |
उन्होंने उत्तर दिया, “यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं;
मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं हैं। मुझे उन्हें भी लाना है। वे मेरी आवाज सुनेंगी। तब एक ही झुण्ड होगा और एक ही चरवाहा।
योहन ने उत्तर दिया, “जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए, वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता है।
पिता जिन्हें मुझ को सौंप देता है, वे सब मेरे पास आएँगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी बाहर नहीं निकालूँगा;
आप लोगों को न केवल मसीह में विश्वास करने का, बल्कि उनके कारण दु:ख भोगने का भी वरदान मिला है।
हमारे प्रभु का अनुग्रह प्रचुर मात्रा में मुझे प्राप्त हुआ और साथ ही वह विश्वास और प्रेम भी, जो हमें येशु मसीह द्वारा मिलता है।
और इस आशा से विरोधियों को नम्रता से समझाये कि वे परमेश्वर की दया से पश्चात्ताप करें और सच्चाई पहचानें।
हम अपने विश्वास के प्रवर्तक एवं सिद्धिकर्ता येशु पर दृष्टि रखे रहें, जिन्होंने कलंक की कोई परवाह नहीं की और भविष्य में आनन्द की प्राप्ति के लिए क्रूस का कष्ट सहन किया तथा परमेश्वर के सिंहासन की दाहिनी ओर विराजमान हुए।