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यूहन्ना 6:60 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

यह सुनकर उनके बहुत-से शिष्‍यों ने कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है। इसे कौन मान सकता है?”

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पवित्र बाइबल

यीशु के बहुत से अनुयायियों ने इन बातों को सुनकर कहा, “यह शिक्षा बहुत कठिन है, इसे कौन सुन सकता है?”

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Hindi Holy Bible

इसलिये उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, “यह कठोर बात है; इसे कौन सुन सकता है?”

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नवीन हिंदी बाइबल

यह सुनकर उसके शिष्यों में से बहुतों ने कहा, “यह कठोर वचन है, इसे कौन सुन सकता है?”

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सरल हिन्दी बाइबल

यह बातें सुनकर उनके अनेक शिष्यों ने कहा, “बहुत कठोर है यह शिक्षा. कौन इसे स्वीकार कर सकता है?”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

इसलिए उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है; इसे कौन मान सकता है?”

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यूहन्ना 6:60
12 क्रॉस रेफरेंस  

धन्‍य है वह, जो मेरे विषय में भ्रम में नहीं पड़ता।”


येशु और उनके शिष्‍य भी विवाह में निमन्‍त्रित थे।


“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : वह समय आ रहा है, वरन् आ ही गया है, जब मृतक परमेश्‍वर के पुत्र की वाणी सुनेंगे, और जो सुनेंगे, उन्‍हें जीवन प्राप्‍त होगा,


इस पर वे यहूदी लोग आपस में वाद-विवाद करने लगे, “यह हमें खाने के लिए अपनी देह कैसे दे सकता है?”


फिर भी तुम में से अनेक मुझ पर विश्‍वास नहीं करते।” येशु तो प्रारम्‍भ से ही यह जानते थे कि कौन मुझ पर विश्‍वास नहीं करते और कौन मेरे साथ विश्‍वासघात करेगा।


इसके पश्‍चात् येशु के बहुत-से शिष्‍य पीछे हट गये और उन्‍होंने उनका साथ छोड़ दिया।


इसलिए येशु के भाइयों ने उनसे कहा, “यह प्रदेश छोड़ कर यहूदा प्रदेश जाइए, जिससे आप जो महान् कार्य करते हैं, उन्‍हें आपके शिष्‍य भी देख सकें।


जिन यहूदियों ने उन में विश्‍वास किया, उन से येशु ने कहा, “यदि तुम मेरे वचन पर दृढ़ रहोगे, तो सचमुच मेरे शिष्‍य सिद्ध होगे।


तुम मेरी बातें क्‍यों नहीं समझते? कारण यह है कि तुम वचन सहन नहीं कर सकते।


इसके सम्‍बन्‍ध में हमें बहुत कुछ कहना है। पर इन बातों को समझाना कठिन है, क्‍योंकि आप लोग ढीले पड़ गये हैं और ऊंचा सुनने लगे हैं!


वह अपने सब पत्रों में ऐसा ही करते हैं, जहाँ वह इन बातों की चर्चा करते हैं। उन पत्रों में कुछ ऐसी बातें हैं, जो कठिनाई से समझ में आती हैं। आशििक्षत और चंचल लोग धर्मग्रन्‍थ की अन्‍य बातों की भाँति उनका भी गलत अर्थ लगाते और इस प्रकार अपना सत्‍यानश करते हैं।