पृथ्वी के सीमान्तों से हम धर्मात्मा परमेश्वर की महिमा के सम्बन्ध में स्तुति-गीत सुनते हैं।” परन्तु मैंने यह कहा, “ओह! मैं दु:ख से क्षीण हो रहा हूं, चिन्ता से व्याकुल हो रहा हूं। धिक्कार है विश्वासघातियों को, धोखेबाजों को; वे एक के बाद एक विश्वासघात किए जा रहे हैं।”
निस्सन्देह, तूने इनके विषय में कभी सुना नहीं था, और न तुझे कुछ मालूम ही था। इससे पहले तेरे कान में यह बात पड़ी भी नहीं थी; क्योंकि मैं जानता था, कि तू निश्चय विश्वासघात करेगा। तू अपनी मां के गर्भ से ही विद्रोही कहलाता आया है।
मैं तुझसे क्यों वाद-विवाद करूं? क्योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्याय सच्चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्यों होते हैं? विश्वासघाती सुख-चैन से क्यों रहते हैं?
प्रभु ने कहा, ‘ओ इस्राएल के बैरियो, ओ यहूदा के शत्रुओ, उसकी अंगूर की क्यारियों में से होकर जाओ, और अंगूर-उद्यान को नष्ट कर दो (पर पूर्णत: नष्ट मत करना); उसकी बेल-लताएं तोड़ डालो; क्योंकि यह उद्यान अब मेरा नहीं रहा।
काश, निर्जन प्रदेश में मुझे टिकने के लिए सराय मिल जाती, तो मैं अपने लोगों को छोड़कर चला जाता; क्योंकि वे सब के सब व्यभिचारी हैं; और वे विश्वासघातियों का संघ बन गए हैं।