तू जल के झाग के सदृश अस्थिर है। तू श्रेष्ठ नहीं रहेगा। क्योंकि तू अपने पिता की शय्या पर चढ़ा था, तूने उसे अपवित्र किया था, तू मेरे बिछौने पर चढ़ा था।
याकूब 1:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) किन्तु उसे विश्वास के साथ और सन्देह किये बिना प्रार्थना करनी चाहिए; क्योंकि जो सन्देह करता है, वह समुद्र की लहरों के सदृश है, जो हवा से इधर-उधर उछाली जाती हैं। पवित्र बाइबल बस विश्वास के साथ माँगा जाए। थोड़ा सा भी संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिसको संदेह होता है, वह सागर की उस लहर के समान है जो हवा से उठती है और थरथराती है। Hindi Holy Bible पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर विश्वास से माँगे, और कुछ सन्देह न करे, क्योंकि सन्देह करनेवाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। नवीन हिंदी बाइबल परंतु वह विश्वास से माँगे, और कुछ भी संदेह न करे; क्योंकि संदेह करनेवाला समुद्र की उस लहर के समान है जो हवा के द्वारा बहाई और उछाली जाती है। सरल हिन्दी बाइबल किंतु वह बिना शंका के विश्वास से मांगे क्योंकि जो संदेह करता है, वह समुद्र की उस चंचल लहर के समान है, जो हवा के चलने से उछाली और फेंकी जाती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर विश्वास से माँगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करनेवाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। |
तू जल के झाग के सदृश अस्थिर है। तू श्रेष्ठ नहीं रहेगा। क्योंकि तू अपने पिता की शय्या पर चढ़ा था, तूने उसे अपवित्र किया था, तू मेरे बिछौने पर चढ़ा था।
पतरस ने उत्तर दिया, “प्रभु! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।”
इस प्रकार हम बालक नहीं बने रहेंगे और भ्रम में डालने के उद्देश्य से निर्मित धूर्त्त मनुष्यों के प्रत्येक सिद्धान्त के झोंके से विचलित हो कर बहकाये नहीं जायेंगे।
मैं चाहता हूँ कि सब जगह पुरुष, बैर तथा विवाद छोड़कर, श्रद्धापूर्वक हाथ ऊपर उठा कर प्रार्थना करें।
हम अपनी आशा की साक्षी देने में अटल एवं दृढ़ बने रहें, क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह विश्वसनीय है।
और विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना, असंभव है। अत: जो परमेश्वर के निकट पहुँचना चाहता है, उसे विश्वास करना आवश्यक है कि परमेश्वर है और वह उन लोगों को प्रतिफल देता है, जो उसकी खोज में लगे रहते हैं।
नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्कि परमेश्वर की कृपा से बल प्राप्त करे। भोजन-सम्बन्धी निषेध-विधियों का पालन करने वालों को इन से लाभ नहीं हुआ।
वह विश्वासपूर्ण प्रार्थना रोगी को बचायेगी और प्रभु उसे खड़ा कर देगा। यदि उसने पाप किया है, तो उसे क्षमा मिलेगी।
वे लोग सूखे जलस्रोत और आँधी द्वारा उड़ाये हुए बादल हैं। गहरा अन्धकार ही उनके लिए रख छोड़ा गया है।