बहुत दिन बीत गए। शूआ की पुत्री अर्थात् यहूदा की पत्नी की मृत्यु हो गई। उसने अपनी पत्नी के लिए शोक मनाया। जब शोक के दिन समाप्त हुए और उसको सान्त्वना प्राप्त हुई, तब वह अपने अदुल्लामी मित्र हीरा के साथ तिम्नाह नगर गया, जहाँ उसकी भेड़-बकरी का ऊन कतरने वाले रहते थे।