उसने किवाड़ों पर करूबों, खजूर के वृक्षों और खिले हुए फूलों की आकृतियां खोदकर बनाईं। उसने किवाड़ों पर सोना मढ़ा तथा खोदा गई आकृतियों पर सोने की परत मढ़ दी।
यहेजकेल 41:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) करूबों और खजूर के वृक्षों के चित्र खुदे थे : एक करूब की आकृति और उसके बाद खजूर के वृक्ष की आकृति; यों दो करूबों के मध्य खजूर के वृक्ष की आकृति अंकित थी। प्रत्येक करूब के दो मुख थे : पवित्र बाइबल करुब (स्वर्गदूतों) और खजूर के वृक्षों की नक्काशी की गई थी। करुब (स्वर्गदूतों) के बीच एक खजूर का वृक्ष था। हर एक करुब (स्वर्गदूतों) के दो मुख थे। Hindi Holy Bible और उस में करूब और खजूर के पेड़ ऐसे खुदे हुए थे कि दो दो करूबों के बीच एक एक खजूर का पेड़ था; और करूबों के दो दो मुख थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसमें करूब और खजूर के पेड़ ऐसे खुदे हुए थे कि दो दो करूबों के बीच एक एक खजूर का पेड़ था; और करूबों के दो दो मुख थे। सरल हिन्दी बाइबल करूब और खजूर पेड़ों की नक्काशी की गई थी. खजूर के पेड़ों और करूबों को एक के बाद एक बनाया गया था. हर एक करूब के दो-दो मुंह थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसमें करूब और खजूर के पेड़ ऐसे खुदे हुए थे कि दो-दो करूबों के बीच एक-एक खजूर का पेड़ था; और करूबों के दो-दो मुख थे। |
उसने किवाड़ों पर करूबों, खजूर के वृक्षों और खिले हुए फूलों की आकृतियां खोदकर बनाईं। उसने किवाड़ों पर सोना मढ़ा तथा खोदा गई आकृतियों पर सोने की परत मढ़ दी।
चौखटों के दिल्लों पर सिंह, बैल और करूबों की आकृतियां अंकित थीं। चौखटों पर, सिंह, बैल और करूबों की आकृतियों के ऊपर और नीचे चक्राकार झालरें बनी हुई थीं।
हीराम ने दिल्लों पर, जहां-जहां खाली स्थान था, करूबों, सिंहों और खजूर वृक्षों की आकृति अंकित की। तत्पश्चात् उसके चारों ओर चक्राकार झालरें बना दीं।
मध्य-भाग की छत को उसने सनोवर की लकड़ी से पाट दिया और उसके पश्चात् उसने इस सनोवर की लकड़ी पर शुद्ध सोना मढ़ा, और उस पर खजूर-वृक्षों और जंजीरों-झालरों के चित्र अंकित किए।
उसने भवन को सोने से मढ़ दिया−उसकी कड़ियों, ड्येढ़ियों, दीवारों और द्वारों पर सोना मढ़ दिया। उसने दीवारों पर करूबों के चित्र खुदवाए।
चारों के चेहरे का रूप इस प्रकार था : प्रत्येक प्राणी का चेहरा सामने की ओर मनुष्य के समान था, दाहिनी ओर सिंह का था, और बायीं ओर बैल का तथा पीछे की ओर गरुड़ का।
प्रत्येक प्राणी के चार मुंह थे : पहला मुंह करूब का, दूसरा मुंह मनुष्य का, तीसरा मुंह सिंह का और चौथा मुंह गरुड़ का था।
फाटक में चारों ओर खिड़कियां थीं, जो भीतर की ओर बाजू के कोठरियों के खम्भों तक संकरी होती चली गई थीं। इसी प्रकार ओसारे में भी भीतर की ओर चारों तरफ खिड़कियां थीं। खम्भों पर खजूर के वृक्ष खुदे थे।
इसकी भी खिड़कियों, ओसारे, तथा खम्भों पर खुदे खजूर के वृक्षों की नाप पूर्वमुखी फाटक के समान थी। इस पर चढ़ने के लिए सात सीढ़ियां बनी थीं। फाटक का ओसारा भीतर की ओर था।
फर्श के दरवाजों के ऊपर की समस्त दीवारों पर करूब और खजूर के वृक्षों की आकृतियां खुदी थीं।
जैसे दीवारों पर करूबों और खजूर के वृक्षों के चित्र खुदे थे, वैसे ही मध्यभाग के किवाड़ों पर भी अंकित थे। सामने की ड्योढ़ी में लकड़ी के छज्जे थे, जो बाहर की ओर निकले हुए थे।
इसके बाद मैंने सभी राष्ट्रों, कुलों, प्रजातियों और भाषाओं का एक ऐसा विशाल जनसमूह देखा, जिसकी गिनती कोई भी नहीं कर सकता था। वे उजले वस्त्र पहने तथा हाथ में खजूर की डालियाँ लिये सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े थे