‘मैं फिर कभी राष्ट्रों में तेरी निन्दा नहीं होने दूंगा, उनके निन्दापूर्ण वचन तेरे कानों में नहीं पड़ेंगे। जातियां तेरा अपमान नहीं करेंगी, और तू उनके अपमान का बोझ नहीं सहेगी। तू पुन: अपने राष्ट्र का पतन नहीं होने देगी।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।’
‘ओ मानव, जब इस्राएली अपने देश में रहते थे, तब उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार से उसको अशुद्ध कर दिया था। ऋतुमति स्त्री की अशुद्धता के समान उनका आचरण अशुद्ध था।