ओ चट्टान की गुफाओं में रहने वाले! ओ पहाड़ी शिखरों पर निवास करने वाले! तुझे अपनी शक्ति पर बड़ा घमण्ड था। और तूने आसपास के राष्ट्रों में अपनी शक्ति का आतंक फैला रखा था। तेरे इसी आतंक ने, तेरे हृदय के घमण्ड ने तुझे धोखा दिया! यद्यपि तूने बाज की तरह ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाया है, तो भी मैं तुझे ऊंचे स्थान से नीचे गिराऊंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।
तू विदेशी सैनिकों के हाथ से बेख़तना मनुष्य के समान घृणित मौत से मरेगा। देख, मैंने तुझ से यह कह दिया, और मैं अपने वचन को अवश्य पूरा करूंगा।” ’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
‘ओ मानव, तू सोर नगर के राजा के लिए एक शोक-गीत लिख, और उसको सुना। तू उससे कहना, स्वामी-प्रभु यों कहता है: “तू सिद्ध राजा का प्रतीक था। तू बुद्धि से परिपूर्ण था। तू सर्वांग सुन्दर था।