राजा नबूकदनेस्सर ने उसको परमेश्वर की शपथ दी थी कि वह उससे विद्रोह नहीं करेगा। तो भी उसने परमेश्वर की शपथ की उपेक्षा की और राजा नबूकदनेस्सर से विद्रोह किया। उसने इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर के प्रति अपने हृदय को कठोर बना लिया था। हठ से उसकी गर्दन ऐंठ गई थी, और वह प्रभु से विमुख हो गया था।
प्रभु यों कहता है, ‘बुरे अंजीर फलों के समान, जो इतने बुरे हैं कि खाए भी नहीं जा सकते, मैं यहूदा प्रदेश के राजा सिदकियाह, सामंतों और यरूशलेम के बचे हुए निवासियों तथा मिस्र देश के रहनेवालों के साथ बुरा व्यवहार करूंगा।
मैंने यहूदा के राजा सिदकियाह से ऐसा ही कहा, ‘महाराज, आप बेबीलोन के राजा की अधीनता स्वीकार कर लीजिए, और उसकी तथा उसकी प्रजा की गुलामी कीजिए। तब आप जीवित रहेंगे।
यदि उसको उखाड़कर दूसरे स्थान पर लगाया जाए, तो क्या वह पुन: लग सकेगी? क्या वह फूलेगी-फलेगी? नहीं! जब पूर्वी पवन बहेगा तब उसके प्रहार से वह पूर्णत: सूख जाएगी, उसी में वह सूख जाएगी।’
‘अब तू विद्रोही इस्राएली कुल से यह कह : क्या तुम अब भी इस पहेली और दृष्टांत का अर्थ नहीं समझे? सुनो, इसका यह अर्थ है : बेबीलोन देश का राजा यरूशलेम में आया। उसने यरूशलेम के राजा, और उसके उच्चाधिकारियों को बन्दी बनाया, और उनको अपने देश में ले गया।