यहोराम ने येहू को देखा। वह उससे बोला, ‘येहू, सब कुशल-मंगल तो है?’ येहू ने उत्तर दिया, ‘जब तक तुम्हारी माता ईजेबेल के द्वारा संचालित पूजा-स्थानों से संबंधित वेश्यालय उपस्थित हैं और देश में इतना जादू-टोना होता है, तब तक कुशल-मंगल का प्रश्न ही नहीं उठता।’
परन्तु मैंने कहा, ‘मैंने व्यर्थ परिश्रम किया, मैंने अपनी शक्ति निस्सार-कार्य में बर्बाद की। तो भी मेरा न्याय प्रभु के हाथ में है, मेरा परमेश्वर ही मुझे प्रतिफल देगा।”
वे शान्ति का मार्ग नहीं जानते; उनके आचरण में न्याय का अभाव है; वे सीधे मार्ग पर नहीं चलते; वरन् उन्होंने अपने मार्गों को टेढ़ा बनाया है; उनके मार्ग पर चलनेवाला व्यक्ति शान्ति का अनुभव नहीं करता।
ये इस्राएल के नबी यरूशलेम के कुशल-मंगल की नबूवत करते थे। ये यरूशलेम की शान्ति के दर्शन देखते थे, जबकि वहां शान्ति थी ही नहीं। स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।